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17 वर्षीय पैरालिम्पिक शटलर पलक कोहली लखनऊ में अपनी रेजिडेंशियल सोसाइटी में मेकशिफ्ट कोर्ट बना के ट्रेनिंग कर रहीं हैं।
17 वर्षीय शटलर शुरुआत में लखनऊ में नेशनल कोच गौरव खन्ना की अकादमी में 9 और लोगो के साथ ट्रेनिंग कर रहीं थी। पर उनमें से 8, मार्च में लॉक डाउन शुरू होने से कुछ ही समय पहले वापस अपने घर चले गए थे।
पलक ने इसके बाद लखनऊ के आउटस्कर्ट्स पर एक घर किराये पर लिया है और खन्ना ने उस घर के पास पार्क में प्रॉपर लाइटनिंग में मेकशिफ्ट कोर्ट बनाने में मदद की है ताकि वो रात को अपनी ट्रेनिंग कर सकें। पलक का बायां हाथ बचपन से डिफोर्मड है.
"हम यहां सोशल डिस्टैन्सिंग का पालन कर रहे हैं और वार्म अप के दौरान उचित दूरी बनाए रखते हैं। हमने सैनिटाइजर भी रखे हुए हैं। ये गेटेड सोसाइटी है औऱ कोई भी बिना परमिशन के अंदर बाहर नही जा सकता।"
"मैं 2 शिफ्ट्स में ट्रेनिंग कर रही हूं। पहला, सुबह 6 बजे से 8.30 बजे तक फिजिकल ट्रेनिंग क्योंकि दिन में गर्मी बढ़ जाती है। और शाम को भी 6 से 8.30 बजे तक ट्रेनिंग होती है।"
"खन्ना सर पास में हीं रहते हैं और वो हर ट्रेनिंग सेशन में मौजूद रहते हैं इसलिए लॉक डाउन का असर मेरी ट्रेनिंग पर नहीं पड़ा है।"
पैरॉलिम्पिक्स के कुछ रूल्स के मुताबिक पलक ऑलरेडी क्वालीफाई कर चुकी हैं।
पलक का टोक्यो पैरालिम्पिक्स में वीमेंस डबल्स में जाना तय है क्योंकि उनका पूरी दुनिया में 5वा स्थान प्राप्त किया है। इंटरनेशनल पैरालिम्पिक कमिटी की लिस्ट में टॉप 6 खिलाड़ियों को ऑटोमैटिकली क्वालीफाई माना जायेगा।
"13 में से 12 क्वालीफाइंग मैचेस हो चुके हैं और आखिरी मैच कोरोना के कारण कैंसिल होगया था। एक शटलर को 13 में से 6 में कंपीट करना होता है और मैं आलरेडी 5वे स्थान पर हूँ और टॉप 6 को क्वालीफाई कर दिया जाता है तो मैं आलरेडी क्वालिफाइड हूँ।" कहती हैं पलक।
पलक के कोच गौरव खन्ना का भी यही कहना है।
17 वर्षीय शटलर शुरुआत में लखनऊ में नेशनल कोच गौरव खन्ना की अकादमी में 9 और लोगो के साथ ट्रेनिंग कर रहीं थी। पर उनमें से 8, मार्च में लॉक डाउन शुरू होने से कुछ ही समय पहले वापस अपने घर चले गए थे।
पलक ने इसके बाद लखनऊ के आउटस्कर्ट्स पर एक घर किराये पर लिया है और खन्ना ने उस घर के पास पार्क में प्रॉपर लाइटनिंग में मेकशिफ्ट कोर्ट बनाने में मदद की है ताकि वो रात को अपनी ट्रेनिंग कर सकें। पलक का बायां हाथ बचपन से डिफोर्मड है.
ट्रेनिंग कैसे होती है?
"हम यहां सोशल डिस्टैन्सिंग का पालन कर रहे हैं और वार्म अप के दौरान उचित दूरी बनाए रखते हैं। हमने सैनिटाइजर भी रखे हुए हैं। ये गेटेड सोसाइटी है औऱ कोई भी बिना परमिशन के अंदर बाहर नही जा सकता।"
"मैं 2 शिफ्ट्स में ट्रेनिंग कर रही हूं। पहला, सुबह 6 बजे से 8.30 बजे तक फिजिकल ट्रेनिंग क्योंकि दिन में गर्मी बढ़ जाती है। और शाम को भी 6 से 8.30 बजे तक ट्रेनिंग होती है।"
"खन्ना सर पास में हीं रहते हैं और वो हर ट्रेनिंग सेशन में मौजूद रहते हैं इसलिए लॉक डाउन का असर मेरी ट्रेनिंग पर नहीं पड़ा है।"
"मैं लकी हूँ कि मैं इस लॉक डाउन में ट्रेनिंग कर पा रही हूं और इस बात की कंप्लेन भी नही कर रही हूं। अगर मैं जलंधर में होती तो मैं ट्रेनिंग नही कर पाती। मुझे शुरू से शुरआत नही करनी पड़ेगी और मुझे इससे पैरालिम्पिक्स में फायदा होगा। "
पैरॉलिम्पिक्स के कुछ रूल्स के मुताबिक पलक ऑलरेडी क्वालीफाई कर चुकी हैं।
पलक का टोक्यो पैरालिम्पिक्स में वीमेंस डबल्स में जाना तय है क्योंकि उनका पूरी दुनिया में 5वा स्थान प्राप्त किया है। इंटरनेशनल पैरालिम्पिक कमिटी की लिस्ट में टॉप 6 खिलाड़ियों को ऑटोमैटिकली क्वालीफाई माना जायेगा।
"मेरा गोल है कि मैं पैरालिम्पिक मेडल लेकर आऊँ औऱ मैं कॉंफिडेंट हूँ कि मैं ये कर पाउंगी और देश का नाम ऊंचा कर सकूंगी।" - पलक
"13 में से 12 क्वालीफाइंग मैचेस हो चुके हैं और आखिरी मैच कोरोना के कारण कैंसिल होगया था। एक शटलर को 13 में से 6 में कंपीट करना होता है और मैं आलरेडी 5वे स्थान पर हूँ और टॉप 6 को क्वालीफाई कर दिया जाता है तो मैं आलरेडी क्वालिफाइड हूँ।" कहती हैं पलक।
पलक के कोच गौरव खन्ना का भी यही कहना है।