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Parenting Tips For Teenage Children: टीनएज बच्चो को कैसे संभाले, पेरेंट्स के लिए टिप्स

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Swati Bundela
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Parenting Tips For Teenage Children: बच्चे का जन्म माता-पिता की जिंदगी का एक बहुत खास मौका होता है। बच्चे को बढ़ते देखना पैरेंट्स को एक अलग ही किस्म की ख़ुशी से भर देता है। बच्चे का पहला कदम, पहले शब्द, स्कूल का पहला दिन, सब कुछ मां-बाप के लिए जिंदगी भर की एक याद बन जाता है।

फिर बच्चा कदम रखता है टीनएज में। 12-13 साल की उम्र को छूते हुए बच्चे के स्वभाव में बदलाव आने लगता है। हर समय मम्मी-पापा के इर्द-गिर्द घूमने वाले इस बच्चे को अब अकेले समय बिताना अच्छा लगने लगता है। मम्मी-पापा की हर बात मानने वाले बच्चों को उनकी बातें अब अच्छी नहीं लगतीं। गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है।

टीनएज में इतने मूडी क्यों हो जाते हैं बच्चे?

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टीनएज यानि 13 से लेकर 19 साल की उम्र जब बच्चे बहुत सारे बदलावों से गुजरते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण हैं हॉर्मोन्स। एक तरफ शरीर में तेजी से बदलाव आते हैं, वहीं ये हॉर्मोन उनकी फीलिंग्स में भी उठा-पटक कर देते हैं। प्यार, अट्रैक्शन, गुस्सा, हर्ट होने जैसी फीलिंग अब बच्चे में प्रबल होने लगती हैं। जहां एक तरफ वो इन फीलिंग्स और बदलावों को समझने की कोशिश कर रहे होते हैं, वहीं स्कूल में पढ़ाई का प्रेशर भी बढ़ने लगता है। ये प्रेशर, हॉर्मोन्स और बच्चे के बदलते स्वभाव के लिए जिम्मेदार होते हैं।

Parenting Tips For Teenage Children:  टीनएज बच्चा नहीं सुनता आपकी बात तो करे ऐसे डील-


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1. सबसे पहले अपने बच्चे का बेस्ट फ्रेंड बनें

अक्सर बच्चों में यह डर रहता है कि यदि वे अपनी किसी गलती को या किसी बात को अपने पेरेंट्स को बतायेंगे तो उन्हें डांट या मार पड़ेगीl इसी डर के चलते वे माता पिता से झूठ बोलना शुरू कर देते हैं और उनके विश्वास में नहीं रहतेl इस तर्क को ख़तम करने का सबसे आसान तरीका है कि माँ बाप को अपने बच्चों के बेस्ट फ्रेंड्स बन जाना चाहिएl बच्चे की हर बात को अच्छे से सुनना चाहिए व अपनी भी हर ख़ुशी गमी को उनके साथ बाँटना चाहिएl इससे आप अपने बच्चे का संपूर्ण विश्वास पा लोगे और उसकी हर गतिविधि के बारे में जान सकोगेl

2. बच्चों की फीलिंग्स की रेस्पेक्ट करें

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टीनएज दिल से बहुत सेंसिटिव होते हैंl वे आपसे उनकी हर बात को सीरियसली से लिए जाने की उम्मीद रखते हैंl वे अपनी फीलिंग्स आपके साथ तभी शेयर करेंगे यदि आप उनको सीरियसली से सुनें व उनकी रेस्पेक्ट करेंl उनकी हर छोटी से छोटी बात को भी ध्यान से सुनें ताकि वे आपको अपने अच्छे दोस्त के रूप में देख सके जो कि उसकी हर छोटी-बड़ी बात को सुनता है और उसपे रियेक्ट भी करता हैl आप यह फाइनल करें कि वे किसी भी विषय में आप से आसानी से बात कर सकें।

3. बच्चों को अपना हमउमर समझें

बच्चों की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाने में यह एक और कदम होगा कि जब भी आप अपने घर या परिवार से जुड़ा कोई फैसला लेते हैं तो यह ध्यान रखे कि आप अपने टीनएज से अपने हम उम्र की तरह ही बात करें और उनसे उनकी राय लें जैसे आप अपने दोस्तों या सहयोगियों से लेते हैं। उन्हें विश्वास दिलाएं कि उस ख़ास फैसले में उनकी सोच आपके लिए कितनी ज़्यादा मायने रखता है। इससे आपका अपने बच्चे के साथ रिश्ता और भी ज़्यादा गहरा हो जायेगा।

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4. अपने बच्चे के साथ बिताएं अनमोल पल

आज कल ज़्यादातर माता और पिता दोनों ही वर्किंग होते हैं जिसकी वजह से वे बच्चे के साथ ज़्यादा समय नहीं गुज़ार पाते जिसकी वजह से बच्चे अपनी किसी भी तरह की परेशानी या भाव उनके साथ शेयर नहीं कर पाते और अपने विचारों को अपने भीतर दबाते चले जाते हैं। यही कारण है कि आज डिप्रेशन से ग्रस्त टीनएज की संख्या बढ़ती जा रही है। 

ज़रूरी है कि हर रोज़ की व्यस्तता में से ख़ास समय निकाल कर अपने बच्चे के साथ बिताएं और उसकी पूरे दिन की हर छोटी से छोटी एक्टिविटी के बारे में सुनें और उनमें अपना पूरा इंटरेस्ट दिखाएँ। इससे आप उनकी हर प्रॉब्लम व चिंता के बारे में भी जान पाएंगे और उसको दूर करने में उनकी मदद कर पाएंगे।

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5. आपको खुद भी करना होगा

आप बच्चे को जो भी संस्कार देना चाहते हैं, उन्हें सिर्फ बच्चे को ऐसे ही ना बताएं बल्कि उन संस्कारों को अपने जीवन में भी उतारें। बच्चों के साथ परिवार और करियर के मुद्दों पर बात करें। घर की आर्थिक स्थिति, पारिवारिक रिश्तों पर बात करें। इससे बच्चे की सोच-समझ विकसित होती है और उसमें घर के प्रति जिम्मेदारी का भाव आता है।


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