प्लैनिट एबल्ड : व्हील चेयर पर एक माँ के बुरे अनुभवों से प्रेरित हुआ यह बिज़नेस

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Swati Bundela
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अपनी छोटी बेटी नेहा अरोड़ा की कंपनी की इन्वेस्टर अचला अपनी बेटी के इंटरप्रेन्योर बनने की कहानी बताती हैं।

प्लेनेट एबल्ड कैसे शुरू हुआ


वो कहती हैं कि नेहा को माता पिता की डिसेबिलिटी की वजह से कहीं भी घूमने जाने का मौका नही मिला और कहीं जाने के बाद भी ट्रेवलिंग के कुछ खराब अनुभवों की वजह से नेहा को अपना बिज़नेस शुरू करने का मोटिवेशन मिला। नेहा अरोड़ा प्लेनेट एब्लेड नाम की कंपनी खोली है जिसमें दिव्यांग जनों के लिए ऐक्सीसिबल ट्रैवेल सलूशन दिए जाते हैं।


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अचला बताती हैं कि वो और उनके पति( जो कि देख नही सकते थे) ने मान लिया था कि कुछ चीज़ें हमारे लिए नहीं हैं और ट्रैवेल उनमें से एक है। पर नेहा हमेशा से सवाल पूछती रहती थी कि क्यों नहीं।


जब बच्चे बड़े हुए और उन्होंने हमें ट्रेवल करने के लिए काफी मनाया तो नेहा ने उन जगहों पर काफी बहस की जहां पर दिव्यांगों के लिए ऐक्सीसिबिलिटी और रहने की सुविधाएं नही थी।

वो कहती हैं कि नेहा को माता पिता की डिसेबिलिटी की वजह से कहीं भी घूमने जाने का मौका नही मिला और कहीं जाने के बाद भी ट्रेवलिंग के कुछ खराब अनुभवों की वजह से नेहा को अपना बिज़नेस शुरू करने का मोटिवेशन मिला।


"एक बार इसी वजह से एक बार मोब फाइट भी हुई जिसके बाद हमने कभी ट्रेवल ना करने का फैसला किया। मैं एक शांति प्रिय महिला हूँ जो बहस और लड़ाई को बिल्कुल अवॉयड करती हूं और ऐसे एक्सपीरियंस को मैं कभी भी स्वीकार नही कर सकती थी।"

पर ये सब होते हुए देखकर नेहा चुप नही रही। उसने मेरे और मेरे जैसे लोगों के लिए एक सलूशन निकालने का फैसला किया।

अचला का रिएक्शन


"एक दिन उसने मुझे अचानक से आकर बताया कि उसने अपनी जॉब छोड़ दी है प्लैनिट एब्लेड शुरू करने के लिए। हम थोड़े चिंता में थे पर थोड़े दिन बाद हमने स्वीकार किया कि अगर वो अच्छा कर रही है तो हम उसे ज़रूर सपोर्ट करेंगे। "अचला, नेहा की आधी कंपनी की मालिक हैं और उन्होंने अपनी सेविंग्स भी कंपनी में इन्वेस्ट करी हैं।

"ट्रेवेलिंग अब मेरा पैशन है और मैं वो सब कुछ करना चाहती हूँ जो इतने सालों तक नही कर पाई। और अब जब मेरी बेटी भी इसी सेक्टर में काम कर रही है तो मेरे लिए काफी आसान हो गया है।नेहा की वजह से मैंने कई जगहें घूमी।" - अचला अरोड़ा


" ट्रेवेलिंग अब मेरा पैशन है और मैं वो सब कुछ करना चाहती हूँ जो इतने सालों तक नही कर पाई। और अब जब मेरी बेटी भी इसी सेक्टर में काम कर रही है तो मेरे लिए काफी आसान हो गया है।नेहा की वजह से मैंने कई जगहें घूमी। इतनी जगहें घूमने के बाद मुझे पता चला कि दुर्भाग्यवश काफी जगहों पर दिव्यांगों के लिए अच्छे शौचालय नहीं हैं।"

नेहा का प्लेनेट एब्लेड एक स्पेस बना रहा है ताकि हर जगह दिव्यांगों के लिए अच्छी सुविधाएं और रहने की व्यवस्था हो। अपने माँ बाप के साथ हुए अनुभवों को लेकर उन्होंने सारे दिव्यांग लोगों के लिए एक अच्छा वेंचर शुरू किया और अचला ने एक अच्छी मां की तरह उनका सपोर्ट किया।
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