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'फेयरनेस क्रीम लगाकर गोरी होना चाहती थी' - प्रियंका चोपड़ा

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Swati Bundela
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अगर आप 'गोरे' हैं, तो इसका साफ मतलब है कि आप 'सुंदर' हैं। और यदि आपका स्किन कलर थोड़ा 'डार्क' है, तो मतलब आप 'बदसूरत' हैं। सुनने और समझने में भले-ही यह बेहद अजीब-सा लगे, मगर यह भारत में एक बेहद सामान्य धारणा है। और इस धारणा का शिकार ज्यादातर लड़कियों को बनाया जाता है। इन लड़कियों की लिस्ट में एक नाम, प्रियंका चोपड़ा का भी है। 

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प्रियंका दुनियाभर में जानी जाने वाली अभिनेत्री हैं। इन्होंने अपने करियर के शुरुवाती दिनों में, fairness cream के विज्ञापन किए। मगर आज जब प्रियंका बुलंदियों पर हैं, तो इन विज्ञापनों का जिक्र जोरों पर क्यों ?


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Black Lives Matter movement के दौरान प्रियंका चोपड़ा के किए गए fairness cream के विज्ञापन खूब वाइरल हुए। इन विज्ञापनों पर प्रियंका ने अपने हालिया इंटरव्यू में कई बातें कहीं, जिनका जिक्र जोरों पर है। और न केवल जिक्र, बल्कि हमारे लिए उनकी कहीं बातों को समझना भी बेहद जरूरी है।


'डार्क स्किन यानि बदसूरती', मुझे भी यही लगता था'

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''मुझे fairness cream के विज्ञापन करने का बहुत पछतावा है।'' इतना कहते ही बेहद खेद के साथ अपने हालिया इंटरव्यू में प्रियंका ने बताया - ''उस वक्त fairness cream का विज्ञापन करना बेहद सामान्य था, और साउथ एशिया में यह धारणा बेहद आम थी  - डार्क स्किन यानि बदसूरती। और शायद यही कारण था कि fairness cream उस वक्त इतने ज्यादा बिकते थे। यहाँ तक की मैं भी 13 साल की उम्र में fairness cream और पाउडर लगाती थी क्योंकि मैं भी इसी धारणा का शिकार थी।''

2015 में जर्नलिस्ट बरखा दत्त को दिए एक इंटरव्यू में, प्रियंका ने कहा था - ''मुझे रंग-भेद को लेकर बहुत बुरा लगा, और इसलिए मैंने ऐसे विज्ञापन न करने का फ़ैसला लिया।'' आगे प्रियंका अपनी डार्क-स्किन को लेकर कहती हैं - ''मेरे परिवार में मेरे सारे cousins बेहद गोरे-चिट्टे हैं, और केवल मैं ही डार्क स्किन की हूँ । मेरे पंजाबी परिवार में मज़ाक से मुझे सब काली, काली कहकर बुलाते।''

आज हम सभी को यह समझने की बेहद जरूरत है कि केवल गोरा रंग ही खूबसूरत नहीं होता। बल्कि हर एक रंग-रूप की अपनी एक पहचान और खूबसूरती होती है। हमें किसी को भी उसके डार्क कलर को लेकर चिड़ाना नहीं चाहिए।

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