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1 मोटापा
30 से ऊपर का BMI होने पर स्पर्म की क्वालिटी पे असर पड़ सकता है। इसकी वजह से स्पर्म के डेवलपमेंट में रुकावट आ सकती है। फैट 'एण्ड्रोजन' नामक हॉर्मोन को इन्फ्लुएंस और ओवरलोड कर सकता है। ये वो हॉर्मोन होता है जिसकी वजह से मेल में रिप्रोडक्टिव एक्टिविटी बढ़ती है।
2 स्मोकिंग
नशे की लत वाली चीज़ो का स्पर्म काउंट पे बहुत ज़्यादा असर पड़ता है। निकोटिन की वजह से बॉडी में एक इम्बैलेंस पैदा होता है जिसे oxidative स्ट्रेस कहते हैं। ये स्पर्म क्वालिटी और फर्टिलाइसेशन पोटेंशियल को इन्फ्लुएंस करता है। कोकेन की वजह से स्पर्म की डेवलपमेंट पे भी असर पड़ सकता है।
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3 सप्लीमेंट्स
फ़ूड सुपलेमेन्ट्स को बिना फिजिशियन या प्रोफेशनल एडवाइस लिए बिना नहीं लेना चाहिए। टेस्टोस्टेरोन इंजेक्शंस और बाकी स्टेरॉइड्स की वजह से स्पर्म की प्रोडक्शन पे बहुत ही ज़्यादा असर पड़ सकता है। यहाँ तक कि ज़्यादा कॉफ़ी पीने से भी आप के अंदर इनफर्टिलिटी आ सकती है , हालाँकि ये तभी हो सकता है जब पहले से ही कोई फर्टिलिटी प्रॉब्लम हो।
4 इन्फेक्शन्स
ये तो सभी को पता है कुछ STIs जैसे कि gonorrhea, chlamydia और ureoplasma कि वजह से मेल इनफर्टिलिटी हो सकती है। इन मिक्रोऑर्गैनिस्मस के द्वारा पैदा किये गए जेनिटल inflammation की वजह से स्पर्म काउंट कम होने के बहुत चान्सेस होते हैं। किसी किसी केस में जब ये इन्फेक्शन बढ़ जाता है तो स्पर्म बनने ही बंद हो जाते हैं।
5 उम्र
ये मानना कि पुरुष किसी भी उम्र में रेप्रोडयूस कर सकते है , गलत है। पैंतीस (35) की उम्र के बाद उनकी बॉडी में स्पर्म कम पैदा होने शुरू हो जाते हैं। ऐसा इसकिये होता है क्यूंकि DNA में मौजूद nucleus धीरे-धीरे टूटने / फ्रेगमेंट होना शुरू कर देता है। 40 की उम्र के बाद अगर पुरुष बच्चा पैदा करे तो उसमे जेनेटिक म्युटेशन के चान्सेस 11 % तक बढ़ जाते है। ये परसेंटेज हर साल के साथ बढ़ता जाता है। अगर कभी पुरुष 50 की उम्र के बाद बच्चे करे तो उसमे डाउन सिंड्रोम, Neurofibromatosis, Autism और Kleinfelter सिंड्रोम जैसी दिक्कते आ सकती है।
इस आर्टिकल में हमने जाने मेल इनफर्टिलिटी के कारण।
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