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पंजाबी शादी की सेक्सिस्ट रस्में
इस रस्म में हवन होता है और उसके बाद मामा और मामी दुल्हन को 21 चूड़ियों का सेट देते हैं। ये चूड़ियाँ आमतौर पर लाल और आइवरी के रंग की होती हैं। फिर उन्हें शुद्धिकरण के लिए दूध और गुलाब की पंखुड़ियों के मिश्रण में डाल दिया जाता है और फिर उसके मामा द्वारा दुल्हन की कलाई पे पहनाया जाता है। चूड़ियाँ महिलाओं के लिए शादी का प्रतीक होती हैं। जबकि पुरुषों के लिए ऐसा कोई भी आभूषण अनिवार्य नहीं होता है। हम्म, अगर विवाह एक बंधन है जो दोनों व्यक्तियों को एक ही स्तर पर खड़ा करता है, तो फिर ऐसा बंधन सिर्फ महिलाओं के लिए ही क्यों ? पुरुषों के लिए क्यों नहीं ?
शादी हो या कोई शादी, स्वच्छता हर जगह सबसे पहले आती है। अब किसी और के इस्तेमाल किए गए पानी में स्नान करने के बारे में सोचें ... गन्दगी? अस्वच्छ? खैर, हल्दी की परंपरा में कुछ ऐसा ही होता है। भारत भर में पूर्ण रूप से मनाई जाने वाली और पंजाबियों में बहुत ही ख़ुशी से मनाई जाने वाली प्रथा, हल्दी, एक रस्म है जिसमें दूल्हा और दुल्हन को घर की महिलाओं द्वारा त्वचा पर शीशम, हल्दी, चंदन और सरसों के तेल का मिश्रण लगाया जाता है। अब, ट्विस्ट ये है की दुल्हन के शरीर पे जो हल्दी लगाई जाती है असल में वो में दूल्हे के शरीर से हटाए गयी हलदी होती है। हां, इसलिए भले ही हल्दी का पूरा विचार मजेदार और प्यारा है, लेकिन यह एक अस्वच्छ प्रथा है।
लोग कहते हैं,दान का सबसे बड़ा रूप जो एक इंसान अपने जीवन में कर सकता हैं वो हैं उसकी खुद की बेटी का दान। कई अलग-अलग संस्कृतियों में कन्यादान की रस्म निभाई जाती हैं जो की पूरी तरह से सेक्सिस्ट हैं। पूरी रस्म बेटी को दान के रूप में देने के बारे में होती है। अब यहाँ बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या एक दुल्हन का कोई मालिक होता हैं और क्या दुल्हन कोई सामान या वास्तु होती हैं जिसे किसी को दिया जाये? एक महिला खुद में भी एक इंसान ही होती हैं और उसका खुद पे पूरा हक़ हैं, उसकी 'ownership' कोई और शादी के बाद भी नहीं ले सकता ।
एक महिला खुद की मालिक होती हैं, न ही उसके माता-पिता या उसके पति किसी भी तरह से दुल्हन के मालिक हैं। इसलिए, यह रिचुअल के बारे में सबको फिरसे सोचने का समय आ गया हैं।
पंजाबी शादी की सेक्सिस्ट रस्में :
चूड़ा चढाना :
इस रस्म में हवन होता है और उसके बाद मामा और मामी दुल्हन को 21 चूड़ियों का सेट देते हैं। ये चूड़ियाँ आमतौर पर लाल और आइवरी के रंग की होती हैं। फिर उन्हें शुद्धिकरण के लिए दूध और गुलाब की पंखुड़ियों के मिश्रण में डाल दिया जाता है और फिर उसके मामा द्वारा दुल्हन की कलाई पे पहनाया जाता है। चूड़ियाँ महिलाओं के लिए शादी का प्रतीक होती हैं। जबकि पुरुषों के लिए ऐसा कोई भी आभूषण अनिवार्य नहीं होता है। हम्म, अगर विवाह एक बंधन है जो दोनों व्यक्तियों को एक ही स्तर पर खड़ा करता है, तो फिर ऐसा बंधन सिर्फ महिलाओं के लिए ही क्यों ? पुरुषों के लिए क्यों नहीं ?
हल्दी :
शादी हो या कोई शादी, स्वच्छता हर जगह सबसे पहले आती है। अब किसी और के इस्तेमाल किए गए पानी में स्नान करने के बारे में सोचें ... गन्दगी? अस्वच्छ? खैर, हल्दी की परंपरा में कुछ ऐसा ही होता है। भारत भर में पूर्ण रूप से मनाई जाने वाली और पंजाबियों में बहुत ही ख़ुशी से मनाई जाने वाली प्रथा, हल्दी, एक रस्म है जिसमें दूल्हा और दुल्हन को घर की महिलाओं द्वारा त्वचा पर शीशम, हल्दी, चंदन और सरसों के तेल का मिश्रण लगाया जाता है। अब, ट्विस्ट ये है की दुल्हन के शरीर पे जो हल्दी लगाई जाती है असल में वो में दूल्हे के शरीर से हटाए गयी हलदी होती है। हां, इसलिए भले ही हल्दी का पूरा विचार मजेदार और प्यारा है, लेकिन यह एक अस्वच्छ प्रथा है।
कन्यादान :
लोग कहते हैं,दान का सबसे बड़ा रूप जो एक इंसान अपने जीवन में कर सकता हैं वो हैं उसकी खुद की बेटी का दान। कई अलग-अलग संस्कृतियों में कन्यादान की रस्म निभाई जाती हैं जो की पूरी तरह से सेक्सिस्ट हैं। पूरी रस्म बेटी को दान के रूप में देने के बारे में होती है। अब यहाँ बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या एक दुल्हन का कोई मालिक होता हैं और क्या दुल्हन कोई सामान या वास्तु होती हैं जिसे किसी को दिया जाये? एक महिला खुद में भी एक इंसान ही होती हैं और उसका खुद पे पूरा हक़ हैं, उसकी 'ownership' कोई और शादी के बाद भी नहीं ले सकता ।
एक महिला खुद की मालिक होती हैं, न ही उसके माता-पिता या उसके पति किसी भी तरह से दुल्हन के मालिक हैं। इसलिए, यह रिचुअल के बारे में सबको फिरसे सोचने का समय आ गया हैं।