हम अक्सर देखते हैं कि लड़कियों को एक अच्छी बहू बनाने के लिए उनकी माताएँ बचपन से ही उन्हें उसी रूप में बड़ा कर रहीं होती है। इसके लिए चाहे एक लड़की को अपने सपनें, अरमान और एजेंसी ही क्यूँ ना पीछे छोड़नी पड़े। "पति परमेश्वर है", "थोड़ा बर्दाश्त करना पड़ता है", "निभाना पड़ेगा", "धीरे-धीरे सब सीख जाओगी" और न जाने क्या-क्या उनके दिमाग में फिट किया जाता है। यह सोचने वाली बात है कि क्या ऐसी शादी कभी भी सफल हो पाएगी? क्या वह लड़की खुशी से इस बंधन को निभा पाएगी? शायद कभी नहीं। यही सही समय है कि जो माताएँ अब तक अपनी बेटियों पर गलत चीजें थोपती चली आयी थी अब उन्हें रिश्तों के सही मायने सिखाएँ। ये है कुछ शादी से पहले की बातें जो माँ को कहनी चाहिए-
1) एक हेल्दी रिलेशनशिप में साझेदारी होनी चाहिए
लड़कियों को यह सिखाया जाता है कि एक रिश्ते को मज़बूत और खुशहाल बनाए रखने के लिए थोड़े कॉम्प्रोमाइजेज और सक्रिफाइसस करने पड़ते हैं। इसके बजाय प्रिय माताएँ उन्हें यह सिखाएं कि शादी दो तरफा रिश्ता होता है जिसमें प्यार, समानता, एक- दूसरे का सम्मान एवं फ़िक्र आदि शामिल होते हैं। यदि शादी को सफल बनाना है तो एफर्ट्स दोनों तरफ से होनी चाहिए।
2) दोनों एक-दूसरे के परिवार का सम्मान करें
अपने बड़े-बुजुर्गों और ससुराल पक्ष की देखभाल एवं सम्मान करना यह सीख गलत नहीं है परंतु एक माँ अपनी बेटी को यह भी सिखाए कि उसके परिवार को भी यही सम्मान मिलें। "लड़की वाले हैं इसलिए थोड़ा झुकना पड़ता है", यह बात सिखाना गलत है। पत्नी को पूरा अधिकार है कि वह अपने पति से वैसे ही व्यवहार की अपेक्षा रखे जैसा कि वह उसके परिवार के साथ करती है। पति-पत्नी दोनों को ही अपने परिवारों की जिम्मेदारियां बाँटनी चाहिए और उनका साथ मिलकर ख्याल रखना चाहिए।
3) माँ बनने की चॉइस में लड़की की राय जरूरी
माताओं को यह अपनी बेटियों को बताना चाहिए कि माँ बनना या न बनने में उसके स्वयं का मत होना चाहिए। यह उसके और उसके पति की आपसी मंजूरी से होना चाहिए। माता-पिता या इनलॉज के प्रेशर में आकर किसी भी लड़की को इस मानसिक और शारीरिक तनाव से नहीं गुज़रना चाहिए। अपनी बेटियों को सिखाएं कि अपने करियर को प्रायोरिटी देना, अपने ड्रीम को फॉलो करना, इसमें कुछ गलत नहीं है। मदरहुड को डिले करना, बच्चे को अडॉप्ट करना या बच्चा नहीं करना सब अपने आप में सही है।
4) घर और बच्चे दोनों की जिम्मेदारी हैं
प्रिय माताएँ अपनी लड़कियों को गोल रोटियां और खीर-पूड़ी बनाना ही ना सिखाएँ, उन्हें यह भी सिखाएँ की घर की जिम्मेदारी दोनों की होती है। बचपन से माता-पिताओं को अपने बेटा या बेटी दोनों को ही घर के काम-काज सिखाने और करवाने चाहिए। यही सब शिक्षाऐं तब भी देनी चाहिए जब बात बच्चे संभालने की और बड़ा करने की हो। क्यों एक लड़की ही अपनी शिक्षा एवं जॉब के साथ कॉम्प्रोमाइज करें जब बात बच्चों की आये? अपने पति के साथ इस खूबसूरत एहसास एवं जिम्मेदारी को बाँटिए।
5) शादी एक चॉइस होनी चाहिए
अंत में अपनी बेटियों को सिखाएँ की शादी करना या न करना उसका डिसीजन होना चाहिए। यदि वह शादी करना चाहती है तो किस उम्र और किस समय पर करना चाहती है इसमें भी उसी का मत एवं खुशी होनी चाहिए। यह बेहतर होगा कि शादी की इस उम्र को उसके माता-पिता या समाज व उसके कानून न तय करें। यहअपनी पुत्री को समझाएँ कि जीवन में शादी करना ही उसका एकमात्र लक्ष्य नहीं है। उसे यह बताएँ कि आसमान खुला पड़ा है और उसे उसकी बुलंदियों को छूना है।
शादी एक खूबसूरत बंधन हो सकता है यदि लड़कों और लड़कियों दोनों को ही उस रिश्ते की अहमियत, आपस में एक-दूसरे का आदर एवं सम्मान करना, एक-दूसरे के डिसीजंस को सपोर्ट करना, आत्म-सम्मान की रक्षा करना आदि सिखाया जाए तो।
ये है कुछ शादी से पहले की बातें जो माँ को कहनी चाहिए