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हम होंगे कामयाब - कहानी अपनी अपनी

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Swati Bundela
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विराली मोदी,
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छाया डब्बास और आफरीन अख्तर ने जिन्होंने और इस पैनल की सूत्रधार थी चार्वी  कथूरिया ।
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विराली मोदी जो की एक डिसेबिलिटी राइट्स एक्टिविस्ट हैं , आज के इस पैनल में उन्होंने बताया की कैसे उन्होंने तीन बार मौत से ज़िन्दगी की लड़ाई जीती और २००६ में नेटल पैरालिसिस का सामना किया । उन्होंने पाजिटिविटी के बारे में बात करते हुए बताया की उन्होंने कभी अपनी डिसेबिलिटी को अपनी कमज़ोरी नहीं समझा । उनहोने बताया की डिसेबिलिटी तो सबके पास ही होती है क्योंकि हर किसी में कोई न कोई कमी होती है । डिसेबिलिटी होना उनके अनुसार बहुत ही नार्मल बात है ।
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"डिसेबिलिटी तो सबके पास ही होती है क्योंकि हर किसी में कोई न कोई कमी होती है ।"-विराली मोदी


छाया डब्बास जो की एक कैंसर सर्वाइवर हैं और बातें नाम का ऍनजीओ चलाती हैं । पाजिटिविटी के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया की 13 साल की उम्र में उनके पैर में एक बोन टयूमर डिटेक्ट हुआ था जिसके बाद उन्हें काफी सर्जरी और कीमोथेरेपी से गुज़ारना पड़ा था । ऐसे केस में साइकोलॉजिकल इम्पैक्ट भी बहुत होता है उनके सारे बाल चले गए थे । उस समय कैंसर से लड़ने में उनके परिवार ने उनकी बहुत मदद की और उन्हें मेन्टल प्रेशर से भी बाहर निकाला । छाया का कहना है की वो कैंसर को एक लाइफ लेसन के तोर पर लेती हैं और इससे उन्होंने बहुत कुछ सीखा है ।
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छाया का कहना है की वो कैंसर को एक लाइफ लेसन के तोर पर लेती हैं और इससे उन्होंने बहुत कुछ सीखा है ।


आफरीन अख्तर  जो की एक चाइल्ड एब्यूज सर्वाइवर हैं और अपने बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया की वो भी बचपन में अपने स्टेप फादर के ज़रिये चाइल्ड एब्यूज का शिकार हो चुकी हैं । वो जब अपने घर अकेली होती थी तब उनके साथ यह अब होता था और वो अपनी माँ को भी नहीं बता पा रहीं थी ।वो इस बात का सामना नहीं कर पा रही थी की बाकि बच्चों के पिता अलग है और उनके अलग । यह उनके लिए एक घुटन वाला समय था। उन्होंने अपने डर को स्टेज के लिए अपने प्यार से दूर किया और अब वो अपने साथ हुए हादसे को सबके सामने रखकर बहुत हल्का महसूस करती हैं ।
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