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Sushmita Sen Talks About Body Shaming: वजन नापने की मशीन कैसे हमारा कॉन्फिडेंस कम करती है

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Swati Bundela
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Sushmita Sen Talks About Body Shaming: हर किसी को दूसरे की बॉडी अच्छी लगती है। हर कोई अपने अपीयरेंस को लेकर जीजक महसूस करता है और जब कोई उनके वजन बढ़ने या कम होने होने को लेकर बात करता है या उनके अपीयरेंस पर कुछ कहते है तो यह उनकी मेंटल हैल्थ और इमोशनस को प्रभावित करता है।

वजन मापने वाली मशीन कैसे कॉन्फिडेंस कम करती है?

कहीं न कहीं आज सब आज सब अपनी बॉडी को लेकर नफरत करते है और सोसाइटी इसे बढ़ावा भी दे रही है। सोशल मीडिया पर स्लिम, फिट बॉडी, फिल्म्स में हमेशा जीरो फिगर को सेक्सी और खूबसूरत कहना हमारा कॉन्फिडेंस लौ कर रहा है। आज वजन मापने वाली मशीन पर जब व्यक्ति चढ़ने में जीजक व शर्म महसूस करता है तो वह कम सेल्फ कॉन्फिडेन्स की निशानी है क्योंकि उसके पास के लोग नंबर देखकर हँसने को तैयार रहते है। एक मोटे, पतले व्यक्ति के लिए वजन मापने वाली मशीन पर चढ़ने कठिन यात्रा के सामान है।

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सुष्मिता सेन ने बॉडी शेमिंग को लेकर क्या कहा?

एक्टर सुष्मिता सेन ने बॉडी शेमिंग और सेल्फ हेट को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने बताया वह जैसी दिखती थी उन्हें बिलकुल पसंद नहीं था। सेन ने कहा, "बॉडी शेमिंग कोई कूल कॉन्सेप्ट नहीं है। मुझे यह कभी पसंद नहीं आया। यह पहचानना इम्पोर्टेन्ट है कि क्या आप इसमें डूब तो नहीं रहे। कोई कभी भी परफेक्ट नहीं हो सकता। वह बताती है दुनिया में ऐसे लोग हैं जिन्हें जेनेटिक इशू है और ऐसे लोग भी हैं जो हेल्थ कॉन्डीशन से झूझ रहे है।

लोगों को जज करना आसान है पर उन्हें अपना टाइम, मोमेंट्स को एन्जॉय करने देना मुश्किल है क्योंकि हम हमेशा सुर्खियों में हैं और हम ऐसे लोग हैं जिन्हें हर दिन जज किया जाता है। यह कैसा लगता है ? बिलकुल भी अच्छा नहीं। यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा ना।"

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यह रीलेट कर पाना मुश्किल है, जब-जब में बॉडी शेम हुई में स्ट्रांग वुमन बनकर आयी। उनकी स्ट्रेंथ उनके वेट गैन से नहीं माप सकते और साथ ही में उन्होंने यंग बॉलीवुड एक्टर्स की तरफ की जो फिटनेस पर ध्यान दे रहे है ना कि पतले होने में। लोगों के दिखने के तरीके के लिए शर्मिंदा होना गंभीर प्रभाव डाल सकता है। ज्यादातर लोग जो पहले से ही बॉडी इमेज से जूझ रहे हैं, वे अपने शरीर पर नेगेटिव टिप्पणियां सुनते हैं और इसे 'लुक' बेहतर बनाने के लिए काम करना शुरू कर देते हैं। लोग शरीर से और भी अधिक घृणा करने लगते हैं।

" क्या हम थोड़ा कंमपैशनेट नहीं हो सकते हैं और लोगों को वैसे ही नहीं देख सकते जैसे वो हैं? उनके विचार, प्रतिभा, व्यक्तित्व और लाखों अन्य चीजें उनके वजन के स्कोरबोर्ड के बजाय महत्वपूर्ण होनी चाहिए।



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