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इन्वेस्टमेंट क्या है ?
कुछ रिटर्न पाने के इरादे से पैसा लगाना। इसे इन्वेस्टमेंट के अलग ऑप्शंस में रखा जा सकता है, जिन्हें आम भाषा पर फिक्स्ड डिपॉजिट, इक्विटी, म्यूचुअल फंड, गवर्नमेंट बॉन्ड, प्रॉविडेंट फंड, पोस्ट ऑफिस स्कीम जैसे फाइनेंसियल इन्वेस्टमेंट्स में बांटा जा सकता है। हमारे पास गोल्ड और प्रॉपर्टी जैसे इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस भी हैं।
सेविंग और इन्वेस्टमेंट के बारे में फैसला लेने के लिए टाइमिंग बहुत ज़रूरी है। यह अलग-अलग उम्र और जीवन के स्टेजेस में भी अलग हो सकता है। जैसे, 20 वर्ष के इंसान की प्रिऑरिटीज़ और फाइनेंसियल नीड्स एक में 40 वर्ष के इंसान से अलग होंगी।
रिस्क एक ऐसा शब्द है जिसे आप बहुत बार सुनते हैं। इस वर्ड से डरने की ज़रूरत नहीं। लेकिन इस बारे में सोचें कि इसका क्या मतलब है और इससे आपपे क्या इम्पैक्ट पड़ेगा। हममें से कुछ अच्छे रिटर्न पाने के लिए हाई रिस्क उठाना चाहते हैं वहीँ दूसरी ओर कुछ कम लेकिन सिक्योर्ड रिटर्न से खुश होंगे।
इसके अकॉर्डिंग हम कह सकते हैं कि लिक्विडिटी, रिटर्न, रिस्क और टाइम फ्रेम मेजर फैक्टर्स हैं, जिन्हें राइट इन्वेस्टमेंट करने से पहले एक बार ईवलुएट करना चाहिए ।
ये तीन आसान इन्वेस्टमेंट टिप्स इन्वेस्टमेंट डिशन्स के बारे में सोचने में मदद कर सकती हैं :
- हमेशा कुछ पैसे लिक्विड एसेट्स में लगाएं और वो क्या हैं ? कैश इन हैंड, बैंक बैलेंस, फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे इन्वेस्टमेंट्स जिन्हे हम इमरजेंसी के टाइम पे तुरंत इस्तेमाल कर सके।
- हमेशा फ्यूचर नीड्स के लिए कुछ लॉन्ग टर्म्स इन्वेस्टमेंट स्कीम बनाएं जैसे पब्लिक प्रोविडेंट फंड, गवर्नमेंट बॉन्ड जहां आपके इन्वेस्टमेंट को सिक्योर्ड रिटर्न मिलता है और आप टैक्स बेनिफिट्स का भी ले पाएं ।
- हमेशा मेडिकल और लाइफ इंश्योरेंस को अपने इन्वेस्टमेंट का हिस्सा बनाएं । न केवल वे आपके टैक्स के ऑउटगोज़ को कम कर सकते हैं, बल्कि वे आपको जरूरत पड़ने पर इन्शुरन्स सर्विस भी दे सकते हैं ।