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बच्चों के लिए ट्रेवल करना जरुरी इसलिए है क्योंकि ट्रेवल करने से बच्चे की मेन्टल, फिजिकल और सोशल ग्रोथ होती है। 2020 एक साल साल रहा है जब हमने ज्यादातर वक़्त घरों में बंद हो कर ही बिताया था। कोरोना वायरस बीमारी ने बड़े ही अच्छे तरीके से समझाया है की ट्रेवल करने के क्या फायदे होतें हैं। घर से बाहर जाना हवा पानी बदलना इससे हमारी हेल्थ पर बहुत फर्क पढता है। कोरोना वायरस के चलते मेन्टल हेल्थ के केसिस बहुत ज्यादा बड़े हैं।
जब बच्चा एक घर में बंद होता है तो उसकी जो मेन्टल ग्रोथ है वो सीमित हो जाती है। उस सीमित मेन्टल ग्रोथ को फिर से स्टार्ट करने के लिए जरुरी होता है ट्रेवल करना। बच्चे का माइंड बचपन में काफी चीज़ें देखता है सीखता है और उसकी ओवरआल ग्रोथ और पर्सनालिटी डेवलपमेंट में हेल्प होती है। बच्चे के आईक्यू लेवल बढ़ता है उसको जगह जगह की जानकारी हो जाती है और वो कुए की मेडक की तरह सीमित नहीं रह जाता।
जब बच्चा घर से बाहर कहीं ट्रिप पर जाता है तो चार लोगों से मिलता है बात करता है इस से उसको बात करने के तरीके और कम्युनिकेशन स्किल्स बहुत अच्छी होती है। अगर बच्चे बाहर नहीं जायेंगे और कम लोगों के बीच रहेंगे तो उनका कॉन्फिडेंस कम होता है और अगर उन्हें फ्यूचर नै कही बाहर जाना हो तो वो अकेले नहीं जापाते लो कॉन्फिडेंस लेवल की वजह से ।
इंडिया अलग अलग भाषा और संस्कृतियों से मिलके बनता है। जहाँ अनगिनत भाषाएं, रीति रिवाज, कहानियाँ और नई चीज़ें देखने को मिलती हैं इसलिए बच्चों के लिए ट्रेवल करना ज़रूरी है ताकि इन सबके बारें में उनको नई जानकारी मिले। इन सब चीज़ों से मिलकर बच्चे के दिमाग खुलता है और उनमे समझदारी आती है। ट्रैवेलिंग करने से बच्चे के दिमाग रिफ्रेश होता है जिससे उनकी ग्रोथ में कोई रुकावट नहीं आती।
मेन्टल ग्रोथ की वजह से है बच्चों के लिए ट्रेवल जरुरी
जब बच्चा एक घर में बंद होता है तो उसकी जो मेन्टल ग्रोथ है वो सीमित हो जाती है। उस सीमित मेन्टल ग्रोथ को फिर से स्टार्ट करने के लिए जरुरी होता है ट्रेवल करना। बच्चे का माइंड बचपन में काफी चीज़ें देखता है सीखता है और उसकी ओवरआल ग्रोथ और पर्सनालिटी डेवलपमेंट में हेल्प होती है। बच्चे के आईक्यू लेवल बढ़ता है उसको जगह जगह की जानकारी हो जाती है और वो कुए की मेडक की तरह सीमित नहीं रह जाता।
सोशल डेवलपमेंट
जब बच्चा घर से बाहर कहीं ट्रिप पर जाता है तो चार लोगों से मिलता है बात करता है इस से उसको बात करने के तरीके और कम्युनिकेशन स्किल्स बहुत अच्छी होती है। अगर बच्चे बाहर नहीं जायेंगे और कम लोगों के बीच रहेंगे तो उनका कॉन्फिडेंस कम होता है और अगर उन्हें फ्यूचर नै कही बाहर जाना हो तो वो अकेले नहीं जापाते लो कॉन्फिडेंस लेवल की वजह से ।
कल्चरल ग्रोथ
इंडिया अलग अलग भाषा और संस्कृतियों से मिलके बनता है। जहाँ अनगिनत भाषाएं, रीति रिवाज, कहानियाँ और नई चीज़ें देखने को मिलती हैं इसलिए बच्चों के लिए ट्रेवल करना ज़रूरी है ताकि इन सबके बारें में उनको नई जानकारी मिले। इन सब चीज़ों से मिलकर बच्चे के दिमाग खुलता है और उनमे समझदारी आती है। ट्रैवेलिंग करने से बच्चे के दिमाग रिफ्रेश होता है जिससे उनकी ग्रोथ में कोई रुकावट नहीं आती।