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27 वर्षीय निशा पांडे को एक व्हाट्सएप ग्रुप पे ब्लड डोनेशन का एक मैसेज आया था।
10 अप्रैल को, पांडे भागीरथी तिराहा में हमेशा की तरह ड्यूटी पर थी जब उन्हें एक B + ब्लड ग्रुप की लिए SOS रिक्वेस्ट मिली। “मुझे पता चला कि एक प्रेगनेंट महिला डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में भर्ती है, जो लेबर में है, लेकिन डॉक्टर ने तब तक बच्चा डिलीवर करने से मना कर दिया है जब तक जब उनका ब्लड ग्रुप वाला ब्लड नहीं मिल जाता। डिलीवरी में रिस्क था। इसलिए मैंने कुछ भी नहीं सोचा और यहाँ आगयी, पूछने की लिए की ब्लड मिला या नहीं। मुझे बताया गया कि ब्लड डोनेट अभी तक नहीं किया गया है, इसलिए मैंने रक्त दान करने का फैसला किया क्योंकि मेरे पास एक ही ब्लड ग्रुप है, " पांडे ने शीदपीपल.टीवी को बताया।
पांडे को फोर्सेज में आए हुए अभी सिर्फ एक साल ही हुआ है और पुलिस के हिस्से के रूप में, यह पहली बार है जब उन्होंने रक्तदान किया। इससे पहले जब वह कॉलेज में थी,तब दो बार रक्तदान किया था।
हालांकि पांडे ने यह नहीं सोचा कि यह एक बड़ी बात है क्योंकि उनका मानना है कि संकट में पड़े लोगों की मदद करना पुलिस का काम है चाहे फिर जो भी हो, यह उनके लिए शॉकिंग था कि यह खबर न केवल लोकला लेवल पर कवर की गई, बल्कि इसके लिए उनकी काफी प्रशंसा भी की गयी । " जब तारीफ मिलती है तो किसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन रिक्वेस्ट मिलने पर मैंने ऐसा नहीं सोचा था। हम जानते हैं कि हम इस लॉकडाउन के टाइम फ्रंटलाइन पर काम कर रहे हैं और मदद करना हमारा कर्तव्य है। इस समय जब अस्पताल अपनी ज़रूरतों को पूरा नहीं कर सकता, हम सभी को आगे आने की ज़रुरत है। शुरू में, मैंने सोचा था कि किसी और ने रक्तदान किया होगा, लेकिन तब मुझे लगा कि अस्पताल में जाकर पूछ लेने में कोई बुराई नहीं है और बाकी तो आप जानते ही हैं।"
महिला ने एक बेबी बॉय को जन्म दिया और ये खबर सुनके पांडे बहुत खुश हुई।
10 अप्रैल को, पांडे भागीरथी तिराहा में हमेशा की तरह ड्यूटी पर थी जब उन्हें एक B + ब्लड ग्रुप की लिए SOS रिक्वेस्ट मिली। “मुझे पता चला कि एक प्रेगनेंट महिला डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में भर्ती है, जो लेबर में है, लेकिन डॉक्टर ने तब तक बच्चा डिलीवर करने से मना कर दिया है जब तक जब उनका ब्लड ग्रुप वाला ब्लड नहीं मिल जाता। डिलीवरी में रिस्क था। इसलिए मैंने कुछ भी नहीं सोचा और यहाँ आगयी, पूछने की लिए की ब्लड मिला या नहीं। मुझे बताया गया कि ब्लड डोनेट अभी तक नहीं किया गया है, इसलिए मैंने रक्त दान करने का फैसला किया क्योंकि मेरे पास एक ही ब्लड ग्रुप है, " पांडे ने शीदपीपल.टीवी को बताया।
पांडे को फोर्सेज में आए हुए अभी सिर्फ एक साल ही हुआ है और पुलिस के हिस्से के रूप में, यह पहली बार है जब उन्होंने रक्तदान किया। इससे पहले जब वह कॉलेज में थी,तब दो बार रक्तदान किया था।
"हम जानते हैं कि हम इस लॉकडाउन के टाइम फ्रंटलाइन पर काम कर रहे हैं और मदद करना हमारा कर्तव्य है। इस समय जब अस्पताल अपनी ज़रूरतों को पूरा नहीं कर सकता, हम सभी को आगे आने की ज़रुरत है।" - निशा पांडे
इन्होने अपने ब्लड डोनेशन का एक्सपीरियंस बताया
हालांकि पांडे ने यह नहीं सोचा कि यह एक बड़ी बात है क्योंकि उनका मानना है कि संकट में पड़े लोगों की मदद करना पुलिस का काम है चाहे फिर जो भी हो, यह उनके लिए शॉकिंग था कि यह खबर न केवल लोकला लेवल पर कवर की गई, बल्कि इसके लिए उनकी काफी प्रशंसा भी की गयी । " जब तारीफ मिलती है तो किसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन रिक्वेस्ट मिलने पर मैंने ऐसा नहीं सोचा था। हम जानते हैं कि हम इस लॉकडाउन के टाइम फ्रंटलाइन पर काम कर रहे हैं और मदद करना हमारा कर्तव्य है। इस समय जब अस्पताल अपनी ज़रूरतों को पूरा नहीं कर सकता, हम सभी को आगे आने की ज़रुरत है। शुरू में, मैंने सोचा था कि किसी और ने रक्तदान किया होगा, लेकिन तब मुझे लगा कि अस्पताल में जाकर पूछ लेने में कोई बुराई नहीं है और बाकी तो आप जानते ही हैं।"
महिला ने एक बेबी बॉय को जन्म दिया और ये खबर सुनके पांडे बहुत खुश हुई।