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इंडिया में कोर्ट मैरिज का चलन अब जाकर काफी पॉपुलर होने लगा है। पहले कोर्ट मैरिज को केवल सेलिब्रिटी के संबंध में सुना जाता था लेकिन अब आम जनता भी कोर्ट मैरिज का चुनाव कर रही है। कोर्ट मैरिज बिना किसी बड़े धूम-धड़ाके वाली शादी के कोर्ट में मैरिज ऑफिसर के सामने संपन्न होती है।
Wedding Tips: कोर्ट मैरिज करने जा रहे हैं तो जान लें इससे जुड़ीं जरुरी बातें
- आप यह जान लें कि सभी कोर्ट मैरिज विशेष विवाह अधिनियम के तहत संपन्न होती हैं। कोर्ट मैरिज में कोई भी बालिग यवक और युवती, चाहे वह किसी भी धर्म, संप्रदाय अथवा जाति के हो, शादी कर सकते हैं। भारत का संविधान और कानून कोर्ट मैरिज के बाद उन्हें शादीशुदा मानती है।
- किसी विदेशी व भारतीय की भी कोर्ट मैरिज हो सकती है। कोर्ट मैरिज में किसी तरह की कोई धार्मिक पद्धति नहीं अपनाई जाती। इसके लिए दोनों पक्षों को सीधे ही मैरिज रजिस्ट्रार के सामने एप्लीकेशन देना होता है।
- यह पूरी तरह से एक कागज़ी और ऑफिसियल कार्यक्रम होता है। इसमें बालिग पुरुष-महिला की रजामंदी और उनके सिग्नेचर की जरुरत होती है।
- कोर्ट मैरिज के वक़्त कपल को मैरिज रजिस्ट्रार के सामने अपने तीन गवाह पेश करने होते हैं, जो उनके शादी के वक़्त वहां मौजूद होते हैं। कोर्ट मैरिज की शर्तें- शादी के लिए आवेदन करने वाले युवक-युवती में से किसी का भी पहले से कोई विवाह नहीं होना चाहिए।
- दूल्हे की उम्र 21 और दुल्हन की 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए। दोनों में से किसी की भी मानसिक हालत ऐसी नहीं होनी चाहिए कि वह विवाह के लिए वैध सहमति देने में अक्षम हो।
- शादी करने का कोर्ट में सबसे पहले नोटिस- कोर्ट मैरिज के लिए रजिस्ट्रार को लिखित में नोटिस भेजना होता है कि वे शादी करने का इरादा रखते हैं।
- एक बार कोर्ट मैरिज के नियमों के मुताबिक शादी संपन्न होने के बाद रजिस्ट्रार सभी डिटेल भरकर मैरिज सर्टीफिकेट जारी करता है। आपको यह मैरिज सर्टिफिकेट संभाल क्र रखना होता है। यह आपके शादी को प्रामाणिक और मान्यता प्राप्त बनाता है।
- स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत कपल किसी भी धर्म, जाति या समुदाय का हो, कोर्ट मैरिज करने के बाद उनकी शादी को कानूनी मान्यता मिल जाती है।
- आमतौर पर शादी में काफी पैसा खर्च होता है लेकिन कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया आसान और कम समय में पूरी हो जाती है। इससे आपके पैसों की बचत होती है। कोर्ट मैरिज कम खर्च में की जा सकती है।