प्रेगनेंसी एक औरत के लिए सबसे खूबसूरत सफर माना गया है। अपने अंदर पल रही एक जान को महसूस करना, उससे बातें करना यह सब कुछ बहुत ही अलग और अच्छा लगता है पर प्रेगनेंसी में अगर ख़ुशी है तो मूड स्विंग्स भी है, हार्मोनल चेंज यह सब प्रेगनेंसी को रोलरकॉस्टर भी बना देते है।
इन सब के बीच प्रेगनेंसी में डिप्रेशन की अवस्था भी हो सकती है शायद ही सुना होगा पर आज औरत अपनी सिचुएशन को लेकर मौखिक है। खुद को इग्नोर करने और होने देने की बजाय खुल कर सामने आ रही है इसलिए प्रेगनेंसी के समय डिप्रेशन का शिकार भी औरत को सकती है यह बात भी सामने आ रही है। आईए प्रेगनेंसी से जुड़े इस सत्य को भी जानते है-
पेरिनेटल डिप्रेशन क्या है?
पेरिनेटल डिप्रेशन मूड डिसऑर्डर को कहते है, यह बच्चे के जन्म से पहले होने वाले मूड स्विंग्स व डिप्रेशन- प्रीनेटल डिप्रेशन और बच्चे के जन्म के बाद होने वाले मूड स्विंग्स व डिप्रेशन- पोस्टपार्टम डिप्रेशन, इन दोनों को मिलाकर बनी टर्म- पेरिनेटल डिप्रेशन है। यह बेबी ब्लूज के अलग होता है। बेबी ब्लूएस पोस्टपार्टम के दो हफ्तों के बाद होता है वही पेरिनेटल डिप्रेशन प्रेगनेंसी के दौरान और बच्चे के जन्म के पहले 12 महीने में होता है।
पेरिनेटल डिप्रेशन के लक्ष्ण क्या है?
पेरिनेटल डिप्रेशन के सिम्पटम्स आम डिप्रेशन जैसे है- "थके हुआ रहना, अनिद्रा/सोने में दिक्कत, लौ एनर्जी, बार-बार रोना आना, लोस ऑफ़ एन्जॉयमेंट, इंटरेस्ट, चिड़चिड़ापन आदि। इसी के साथ पल रहे बच्चे के साथ कनेक्ट ना कर पाना भी इन्ही लक्षणों में से एक है जिसे पुअर फेटल अटैचमेंट भी कहते है। आत्महत्या का विचार आना, पछतावा होना पेरिनेटल डिप्रेशन का मुख्य लक्ष्ण है।
पेरिनेटल डिप्रेशन के क्या कारण है?
गर्भावस्था के दौरान बॉडी में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का लेवल अचानक से बढ़ जाता है। यह युरेटस (गर्भाशय) को एक्सपैंड करने में मदद करता है और यही हार्मोन मूड से भी जुड़े होते है। बच्चा होने के 48 घंटों के अंदर दोनों हार्मोनों का लेवल काफी कम हो जाता है और यही पोस्टपार्टम डिप्रेशन का कारण बनता है।
इसका ट्रीटमेंट क्या है?
पेरिनेटल डिप्रेशन को ट्रीट करने के मेथड दूसरे डिप्रेशन ट्रीटमेंट जैसा ही है। पर पेरिनेटल डिप्रेशन ठीक होने के सक्सेस रेट बाकि डिप्रेशन से ज़्यादा है। पेरिनेटल डिप्रेशन के ट्रीटमेंट के लिए आप मेडिकेशन, टॉक थेरेपी या दोनों का मिलाकर सहारा ले सकती है।
मेडिकेशन में antidepressant ड्रग कॉमन ट्रीटमेंट है जो डॉक्टर की सलाह व मदद से लिए जा सकते है। इनका अभी तक प्रेगनेंसी में कोई भी दुष्प्रभाव देखा नहीं गया है। टॉक थेरेपी के साथ मसाज, एक्यूपंक्चर की मदद से भी फर्क देखा गया है। पेरिनेटल डिप्रेशन बच्चे और माँ दोनों के लिए नुकसानजनक है। इसे इग्नोर ना करें तो अपने डॉक्टर से अवश्य बात करें।