विवाह की अनेक रस्मों में मंगलसूत्र पहनाना खास माना जाता है।इसके बिना शादी अधूरी रहती है। यह विवाहित स्त्री के सोलह श्रृंगारों से एक है जिसकी हिन्दू धर्म में बहुत महत्वता है। आईए जानते विवाह के दौरान स्त्री को पहनाया जाने वाला मंगलसूत्र क्यों विशेष है?
1.मंगलसूत्र का अर्थ
मंगलसूत्र में मंगल का अर्थ शुभ और सूत्र का मतलब धागा है। यह विवाह के दौरान लड़का और लड़की को पवित्र बंधन में बांधने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे विवाहित स्त्री को जीवन भर पति की लंबी आयु और अपने विवाहित होने के संकेत के लिए पहना जाता है।
2. सोने का महत्व
मंगलसूत्र में सोने का पेंडेन्ट होता है क्योंकि आयुवेर्दा के अनुसार गोल्ड में हीलिंग प्रॉपर्टीज होती है जो विवाह के दौरान स्त्री को चिंता, टेंशन, तनाव से दूर रखने में मदद करती है। सोना गुरु के प्रभाव को कम कर वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने में मदद करता है।
3. मंगलसूत्र के काले मोती
हर राज्य में हिंदू रीती रिवाज में अंतर है इसीलिए मंगलसूत्र के पैटर्न में काफी भिन्नता देखने को मिलती है पर ज़्यादातर मंगलसूत्र में काले मोती होते है जो बुरी नज़र व ख़तरे से पति और वैवाहिक जीवन को बचाते है। यह भगवान शिव का प्रतिक है इसलिए स्त्री का मंगलसूत्र उसके पति का रक्षाकवच माना जाता है।
4. दैविय शक्तियों का वास
पुरानी कथाओं के अनुसार मंगलसूत्र में दैविय शक्तियों का वास माना जाता है जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखता है, बेचैनी कम करता है, खुशहाली, सुख- सम्पंती लाता है। सोने और काले मोती की दिव्य शक्तियाँ शादीशुदा जोड़े की रक्षा करती है। पीला धागा बृहस्पति मजबूत करता है जो पति-पत्नी में ताल-मेल बिठाता है, लड़ाई झगड़ा कम करता है।
5. सेहत पर प्रभाव
पुराणों के हिसाब से मंगलसूत्र 24 से 30 इंच लंबा होना चाहिए जो स्त्री के दिल के पास रहे और उसकी त्वचा को छुए इस से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है, दिल स्वस्थ्य रहता है, लौकिक तरंगे जागृत होती है जो दिल को सेहतमंद बनाए रखने में मदद करती है।