संगीत की दुनिया में "इंडियन क्वीन" के नाम से जानी जाने वाली जिसका नाम लेते ही - "याद पिया की आने लगी , बोले जो कोयल बागों में, चूड़ी जो खनकी हाथो में, तूने पायल है छनकाई" आदि गानों की लिस्ट मन में उमड़ आती है, वह 90 के दशक से भारतीय महिलाओं को प्रेरित कर रही है। अपनी सुरीली आवाज़ से लोगों के दिलों में राज करने वाली फाल्गुनी पाठक सोसाइटी के जेंडर नॉर्म्स को बहादुरी से तोड़ रही है आईए जानते है कैसे-
कौन है फाल्गुनी पाठक?
12 मार्च 1969 में मुंबई में जन्मी फाल्गुनी पाठक चार बहनों की पांचवी बहन है। उनके माता-पिता को एक लड़के की उम्मीद थी इसलिए लड़की होने के बाद भी उनकी बड़ी बहनों ने उसे लड़के की तरह सजाया। 1987 में पेशेवर कलाकार के रूप में उन्होंने अपना सफर शुरू किया पर बचपन में भी वह कई गानों को अपनी आवाज़ दे चुकी थी। 1998 में उनका पहला एल्बम रिलीज़ हुआ।
फाल्गुनी पाठक का पहनावा क्यों है अलग?
वह कई टीवी शोज में नज़र आ चुकी है जैसे कि तारक मेहता का उल्टा चश्मा, कॉमेडी नाइट्स विथ कपिल, स्टार डांडिया धूम, प्राइमटाइम शो, बा बहु और बेटी आदि। उनका संगीत गुजरात के पारंपरिक संगीत पर बेस्ड होता है। वह सिर्फ सिंगर की ही नहीं म्यूजिक कंपोजर और लाइव परफ़ॉर्मर भी है। वह नवरात्रि की रौनक मानी जाती है पर त्योहारों के मौके पर भी वह टॉम-बॉय लुक कैर्री करने से नहीं झिझकती। उनका यह लुक बचपन से कायम है जो समाज के सेक्सुअल नॉर्म्स, जेंडर अनुरूप अपीयरेंस को नकारता है।
फाल्गुनी पाठक क्वीर आइकॉन भी है
फाल्गुनी पाठक को "इंडियन मैडोना" भी कहा जाता है। वह 90 के दशक से अपनी ड्रेसिंग, हेयर स्टाइल से भारतीयों में समलैंगिकता, क्रॉस-ड्रेसिंग कर क्विरनेस का प्रचार करती आई है, हांलाकि उन्होंने अपने जेंडर के बारे में खुल कर कभी कुछ नहीं कहा। वह बचपन से इस लुक में कम्फर्टेबल है। अपरंपरागत ड्रेसिंग शैली (एंड्रोगिनस) और 2000 के दशक की