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हमारी सोसाइटी में आज भी पैट्रिआर्की कि जड़ें काफी मज़बूत हैं और यही वजह है की सोसाइटी को हर उस चीज़ से प्रॉब्लम है जिससे महिलाओं को ख़ुशी मिलती है। आज भी महिलाओं को सेक्स पसंद करने या उसे एन्जॉय करने के लिए शेम किया जाता है। लेकिन जब इससे भी सोसाइटी के अपने मन कि नहीं चल पाती है तो जिन महिलाओं को सेक्स पसंद है उनके सेल्फ-रेस्पेक्ट को घटाने में लग जाती है। महिलाओं के सेक्स एन्जॉयमेंट को उनके सेल्फ-रेस्पेक्ट से जोड़ कर ये सोसाइटी उन्हें बेशर्म का टैग दे देती है। आज भी जहाँ इक्वलिटी कि बातें हर जगह हो रही है, सेक्स को पसंद करने के लिए मर्दों कि प्रशंसा कि जाती है मगर महिलाओं को सिर्फ ताने दिए जाते हैं।
महिलाओं को सेक्स लाइक करने के लिए इसलिए ब्लेम किया जाता है क्योंकि इस पुरुष-प्रधान समाज में सेक्स को पसंद करने और उनके बारे में बोस्ट करने का हक़ सिर्फ मर्दों का है। सोसाइटी आज भी यही बात मानती है कि मर्द घर चलाते हैं और इसलिए उनके सेक्सुअल नीड्स कि पूर्ती होनी ज़रूरी है। लेकिन महिलाओं के सेक्सुअल नीड्स को हमेशा से ही अनसुना गया है। इसलिए ऐसे में अपनी गलती मानने के बजाये मर्द उन्हें सेक्स पसंद करने के लिए शेम करने लगते हैं।
आज भी लोगों कि सोच इतनी छोटी है कि वो हर बात को सीधा महिलाओं के करैक्टर से जोड़ देते हैं। यही प्रमुख वजह है कि हमारे देश में "virginity" को इतना बड़ा शब्द बना दिया गया है। एक लड़की अगर सेक्स पसंद करती है तो सोसाइटी कि नज़रों में उसे "अपवित्र" भी मन जाने लगता है। जब अंत में बात नहीं बनती है तो सोसाइटी उसे "चरित्रहीन" घोषित करने में ज़रा भी देर नहीं करती है।
हमारे यहां आज भी सेक्स एड्युकेशन को उतनी प्रायोरिटी नहीं दी जाती है और यही वजह है कि सेक्स को पसंद करना महिलाओं के लिए शर्मिंदगी का कारण बन चुका है। सोसाइटी में आज भी लोग सेक्स से जुड़ी कई बातों से अवगत नहीं हैं और इसलिए महिलाओं के सेक्स डिजायर को समझ नहीं पाते हैं। यही वजह है कि महिलाओं को बहुत बार शादी के बाद भी सेक्स लाइफ में कोई एन्जॉयमेंट नहीं मिलता है।
जिन महिलाओं को सेक्स पसंद होता है वो इमोशनली काफी स्ट्रांग होती हैं और अपनेआप को सोसाइटी कि त्योरियों से भी भली-भांति बचाना जानती हैं। इसलिए ऐसी महिलाओं को सोसाइटी हैंडल करने में सक्षम नहीं है और आखिर में उसके सेल्फ-रेस्पेक्ट को चोट पहुंचाने कि कोशिश कि जाती है। सोसाइटी के लिए आज भी ये समझना मुश्किल है कि एक महिला कि पसंद-नापसंद के लिए वो किसी को भी "answerable" नहीं है।
पैट्रिआर्की का है ये इफ़ेक्ट
महिलाओं को सेक्स लाइक करने के लिए इसलिए ब्लेम किया जाता है क्योंकि इस पुरुष-प्रधान समाज में सेक्स को पसंद करने और उनके बारे में बोस्ट करने का हक़ सिर्फ मर्दों का है। सोसाइटी आज भी यही बात मानती है कि मर्द घर चलाते हैं और इसलिए उनके सेक्सुअल नीड्स कि पूर्ती होनी ज़रूरी है। लेकिन महिलाओं के सेक्सुअल नीड्स को हमेशा से ही अनसुना गया है। इसलिए ऐसे में अपनी गलती मानने के बजाये मर्द उन्हें सेक्स पसंद करने के लिए शेम करने लगते हैं।
सेक्स को लाइक करना जोड़ा जाता है करैक्टर से
आज भी लोगों कि सोच इतनी छोटी है कि वो हर बात को सीधा महिलाओं के करैक्टर से जोड़ देते हैं। यही प्रमुख वजह है कि हमारे देश में "virginity" को इतना बड़ा शब्द बना दिया गया है। एक लड़की अगर सेक्स पसंद करती है तो सोसाइटी कि नज़रों में उसे "अपवित्र" भी मन जाने लगता है। जब अंत में बात नहीं बनती है तो सोसाइटी उसे "चरित्रहीन" घोषित करने में ज़रा भी देर नहीं करती है।
सेक्स एड्युकेशन का भी है अभाव
हमारे यहां आज भी सेक्स एड्युकेशन को उतनी प्रायोरिटी नहीं दी जाती है और यही वजह है कि सेक्स को पसंद करना महिलाओं के लिए शर्मिंदगी का कारण बन चुका है। सोसाइटी में आज भी लोग सेक्स से जुड़ी कई बातों से अवगत नहीं हैं और इसलिए महिलाओं के सेक्स डिजायर को समझ नहीं पाते हैं। यही वजह है कि महिलाओं को बहुत बार शादी के बाद भी सेक्स लाइफ में कोई एन्जॉयमेंट नहीं मिलता है।
सेक्स पसंद करने वाली महिलाएं होती हैं स्ट्रांग
जिन महिलाओं को सेक्स पसंद होता है वो इमोशनली काफी स्ट्रांग होती हैं और अपनेआप को सोसाइटी कि त्योरियों से भी भली-भांति बचाना जानती हैं। इसलिए ऐसी महिलाओं को सोसाइटी हैंडल करने में सक्षम नहीं है और आखिर में उसके सेल्फ-रेस्पेक्ट को चोट पहुंचाने कि कोशिश कि जाती है। सोसाइटी के लिए आज भी ये समझना मुश्किल है कि एक महिला कि पसंद-नापसंद के लिए वो किसी को भी "answerable" नहीं है।