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क्यों भारतीय कपल्स को एक दूसरे से खुल के प्यार करने का हक़ नहीं है ?

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Swati Bundela
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"हम इश्क के एहसास को ज़ाहिर भी नहीं कर सकते। मीरा तुम तो इसी देश से हो ना।"





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रवीश कुमार की किताब ‘बोलना ही है’ से ये लाइन इंडिया के कपल्स की सारी तकलीफें बयां करती है। भारत में डेटिंग बहुत बड़ा टैबू है। यहाँ अधिकतर लोग डेट कम करते हैं, चोर सिपाही ज़्यादा खेलते हैं अपने परिवार के साथ। 'है प्रीत जहाँ की रीत सदा'', तो  उस देश में प्रीत निभाने वालों को क्यों इतना सब क्यों झेलना पड़ता है?

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तो भारतवासियों को प्यार से तकलीफ है या आज़ाद प्यार से? वो प्यार ठीक है जो समाज को मंजूर हो, और उस प्यार का क्या जो समाज की नज़र में पाप हो ? तो समाज के विरुद्ध जाकर प्यार करना, कोई मामूली चीज़ तो हुई नहीं, ये किसी जंग से कम भी नहीं। 



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खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों 





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ये लाइन केवल ‘खेल खेल में’ ही इस्तेमाल हो सकती है, असलियत में ऐसा करने से आपके साथ कुछ भी हो सकता है, जैसे प्रेमी जोड़े का मुंह काला करके निकाला गया जुलूस, जूतों की माला भी पहनाई’। ये खबर कुछ दो दिन पहले की है। अगर आप रोज़ अखबार पढ़ते हों, तो ऐसी खबरें किनारे के कॉलम्स में दिखती ही रहती हैं । 









एंटी-रोमियो स्कवॉड और लव जिहाद लॉ 









2017 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गयी एंटी-रोमियो स्कवॉड, महिलाओं की सुरक्षा के लिए लाइ गयी थी। पर कुछ ही समय बाद ये मोरल पुलिसिंग और हरैसमेंट का जरिया बन गए, कपल्स को साथ देख उनकी पिटाई करना, उन्हें मुर्गा बनाना और जेल तक भिजवाना, ऐसे कई अफलातूनी काम किए एंटी-रोमियो स्कवॉड ने। इन 3 सालों में उत्तरप्रदेश में महिलओं पर किए जुर्म बढ़ चुके हैं, तो सवाल ये बनता है कि इस स्कवॉड ने कपल्स को परेशान करने के अलावा किया क्या?









कुछ ही महीने पहले आया लव-जिहाद लॉ, भी इंटरफेथ कपल्स के लिए मुसीबत बन रहा है। कई  कपल्स को दिल्ली और अन्य राज्यों में जाकर कोर्ट से प्रोटेक्शन भी लेनी पड़ी। कपल्स के पास पहले से ही समाज द्वारा दी हुई तकलीफों का ढेर है, सरकार की इन कोशिशों से प्यार पर बंदिशें बढ़ती हैं।









तेरे मेरे प्यार के चर्चे









घर वालों से झूठ बोलना, चुपके से मौका ढूंढ हाथ पकड़ना, चैट्स डिलीट करना, दोस्त के घर पर साथ समय बिताना और ना जाने क्या क्या तकलीफ़ें इंडियन कपल्स को समाज से मिलती हैं। इतना सब करते हैं कपल्स प्यार करने के लिए। पर ये तो रही डेटिंग की बात, उस रिलेशनशिप को शादी तक पहुंचाने के लिए भारतीय कपल्स को धर्म, जाती और न जाने कितनी दीवारों को फांदना पड़ता है। 









ज़रूरत है कि हम अपने परिवार को अपनी दिल की बात समझाएँ, और हमारे परिवार को ज़रूरत है हमें समझने की, जिससे थोड़ा आगे सभी आएं और एक दूसरे की बात समझें ना कि समाज के इशारों पर चलें । 



#फेमिनिज्म रिलेशनशिप
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