करियर पुरुष क्यों तय करते है? लड़कियों के जन्म के बाद की उनका गर्ल्स स्कूल में दाखिले से लेकर उनकी गर्ल्स कॉलेज एजुकेशन तक हमें हमेशा बांध कर रखा गया है। कई परिवारों में ऐसा पाया गया है की वो घर की बेटियों को तो ऑल गर्ल्स स्कूल या कॉलेज में पढ़ने भेजते है मगर लडको को co-ed स्कूल में और कॉलेज में भेजा जाता है। एक ही परिवार और एक ही मां - बाप होने को बावजूद इतना फ़र्क कैसे हो सकता है?
करियर पुरुष क्यों तय करते है वजह क्या है?
लड़की होने की वजह से? तो मैं बता दूं, मेरा लड़की होना आपकी छोटी सोच की कमज़ोरी हो सकती है मगर मेरी सबसे बड़ी ताक़त है की मैं एक लड़की हूं। और क्षमता रखती हूं समाज में एक पॉजिटिव बदलाव लाने की, लोगो को जागरूक करने की। मुझे आवाज़ चुप रहने के लिए नहीं मिली है । मेरा हक़ है, अपनी जिंदगी के हर एक फैसले लेने का, बेबांकी से अपनी बात रखने का तो घर में से मेरा करियर पुरुष क्यों तय करते है? मैं सूरज की वो आग हूं, जिसे गर्व है अपने अस्तित्व पर । और विश्वास है अपने हर कार्य पर । मुझे नहीं रहना, समाज द्वारा बनाई वक्त की घड़ियों में कैद। मुझे अपना सफ़र खुद तय करना है ।
सोच बदलो दुनिया बदलेगी
मैने कहीं पढ़ा था जब एक लड़का पढ़ता है तो सिर्फ़ अपने लिए पढ़ता है। मगर जब कोई लड़की पढ़ती है तो पूरे समाज के लिए पढ़ती है, उसका नक्शा बनाने के लिए पढ़ती है वो अपने साथ पूरे समाज को लेकर उठती है। और मैने इतनी पढ़ाई इसलिए नहीं की ताकि घर के पुरुष मेरे करियर का तय कर सके। मैं जानती हूं, अपनी कला को और जानती हूं "आई एम नॉट गोइंग तो सैटल फॉर एनी लैस।