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Govardhan Puja 2021: क्या होता है गोवर्धन पूजा में और इसका महत्व क्या है? 

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Swati Bundela
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Govardhan Puja 2021: हर साल दिवाली के अगले ही दिन, गोवर्धन पूजा की जाती है। इस साल गोवर्धन पूजा 5 नवंबर 2021, शुक्रवार के दिन है। इस त्यौहार की लोगों के मन और जीवन में अलग महत्व है।

इस दिन गिरिराज गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। इस दिन को गोवर्धन पूजा के साथ-साथ अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने वृंदावन धाम के लोगों को तेज बारिश और तूफान से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ की चोटी उंगली पर उठाया था। 

लोग घरों में गोवर्धन पूजा कैसे करते हैं? 

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वैसे तो इस दिन को लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं। गोवर्धन, मथुरा से 26 किलोमीटर पश्चिम में डीग हाईवे पर है। जो लोग गोवर्धन पूजा के लिए नहीं जा पाते वो अपने घरों में गाय के गोबर से फर्श पर गोवर्धन पर्वत, भगवान कृष्ण, गाय, बछड़ों, की आकृति बनाकर पूजा करते हैं।

इस दिन को लोग सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान करके अपने आप को सुध करते हैं और सभी आकृतियों को बनाते हैं और उनकी धूप और दिए से पूजा करते हैं, भगवान कृष्ण को दूध से स्नान करवाते हैं और इस दिन लोग अपने घरों में अन्नकूट की सब्जी बनाते हैं (जो की नई फसल के अनाज और सभी सब्जियों से बनाता है) और भगवान कृष्ण को भोग लगाते हैं।

गोवर्धन पर्वत की पूजा का महत्व 

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सालों से गोकुल वासी, भगवान इंद्र की पूजा करते थे और उन्हें उनका पालनहार मानते थे। मगर भगवान कृष्ण ने अपनी बात रखी और कहा कि भगवान इंद्र नहीं बल्कि गोवर्धन पर्वत उनका पालनहार है। इसका कारण था, गोवर्धन पर्वत ही है जहां ग्वालों के गायों का चारा मिलता है, जिसकी वजह से लोगों को दूध मिलता है। तब से ही गोकुलवासीयों ने भगवान इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करना शुरू कर दिया था। इस बात को भगवान इंद्र ने अपने अपमान के रूप में लिया और बहुत तेज बारिश शुरु कर दी।

बारिश से सबको बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर, पूरे गांव की भरी बारिश से रक्षा की थी। इसके बाद भगवान इंद्र को पता लगा था की कृष्ण कोई और नहीं भगवान विष्णु के अवतार हैं। तब इंद्र ने बारिश रोकर, भगवान कृष्ण से माफी मांगी थी और तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा था। तब से ही लोग गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।

गोवर्धन परिक्रमा कैसे करते हैं?

गोवर्धन पर्वत के कण-कण में भगवान कृष्ण का वास है। गोवर्धन पूजा के दिन लोग दूर दूर से पर्वत की परिक्रमा करने के लिए आते हैं। कहा जाता है की इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से मन में कोई भी मुराद हो अगर उससे सच्चे मन से मांगो तो वो पूरी हो जाती है। इस दिन को लोग पैदल 21 किलोमीटर की परिक्रमा करते हैं। जैसे हम जानते हैं की आज के समय में लोग जोड़ों और अन्य कई बीमारियों का शिकार होते हैं इसलिए गोवर्धन पर्वत के पास उन लोगों के लिए ई-रिक्शा की सवारी होती है। 



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