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तमिलनाडु में हुआ था ये स्टडी
निति आयोग के मेंबर ने बताया की इंडियन कॉउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च ने तमिलनाडु में करीब 1.17 लाख पुलिस ऑफिसर्स पर ये स्टडी की थी जिनमें से करीब 32 हज़ार लोगों ने वैक्सीन की एक डोज़ ली थीं और उसमे से 7 लोगों की मृत्यु हुई। सेकंड ग्रुप में करीब 17 हज़ार लोग थें जिन्होनें वैक्सीन का कोई डोज़ नहीं लिया था और इसमें से करीब 20 लोगों की मौत हो गई। तीसरे ग्रुप में लगभग 67 हज़ार लोग थें जिन्होनें वैक्सीन के दोनों डोज़ लिए थे और इसमें से केवल 4 लोगों की ही मौत हुई थी।
हाई-रिस्क पॉप्युलेशन पर हुआ था शोध
निति आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि ये स्टडी कोविड के दूसरे वेव के पीक टाइम पर कि गई थी और इसके अंतरगत काफी हाई-रिस्क पॉप्युलेशन को स्टडी किया गया था। आगे उन्होंने ये भी जानकारी दी है कि जहाँ एक डोज़ आपको 82 प्रतिशत तक प्रोटेक्शन दे सकता है और दोनों डोज़ ले लेने से आप वायरस से 95 प्रतिशत तक प्रोटेक्टेड हैं।
थर्ड वेव ला सकता है डेल्टा वैरिएंट
यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि पिछले कुछ समय से कोविड के सबसे बड़ा स्ट्रेन बन उभर रहा है डेल्टा प्लस। इसी बीच ये माना जा रहा है की विश्व भर में थर्ड वेव भी ला सकता है ये स्ट्रेन। सबसे पहले अक्टूबर 2020 में भारत में डेल्टा वैरिएंट के इसके केस मिले थें और अब ये 111 देशों में फ़ैल चुका है। इसके अलावा साइंटिस्ट्स ने इसका एक म्युटेशन भी भारत में ही पाया था और उसका नाम रखा गया था डेल्टा प्लस वैरिएंट। फ़िलहाल इन स्ट्रेंस के कारण कारण कई देश जैसे स्पेन, यूनाइटेड किंगडम, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और थाईलैंड में काफी ज़्यादा इसके केस मिल रहे हैं।