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1. मंत्रालय ने सोशल मीडिया को हस्तक्षेप करने से किया मना
नए दिशानिर्देश जारी करते हुए मंत्रालय ने सोशल मीडिया के पोस्ट्स आम जनता को शेयर करने से मना किया है। मंत्रालय ने बताया की सोशल मीडिया द्वारा चलाये जा रहे कुछ एडॉप्शन मूवमेंट्स के पिक्चर्स और पोस्ट्स को बढ़ावा देना बिलकुल भी सही नहीं है क्योंकि सब कुछ वेरिफ़िएड नहीं रहता है और ऐसे में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो सकता है।
2. मंत्रालय ने अनरेगुलेटेड एडॉप्शन पर जताई आपत्ति
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ऐसे सोशल मीडिया के द्वारा हो रहे अनरेगुलेटेड एडॉप्शन पर आपत्ति जताई है। उनका मानना है की ऐसे में बच्चे किसी ट्रैफिकिंग गिरोह का शिकार बन सकते हैं। इस बात को लेकर मंत्रालय ने पहले ही सभी राज्यों को खत लिख दिया है की वो इन सब पर निगरानी रखे। उन्होनें सभी राज्यों को ये भी निर्देश दिया है की सभी अनाथ बच्चों को डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड वेलफेयर समिति के सामने लाना ज़रूरी है और किसी की भी बिना कोई जानकारी एडॉप्शन नहीं हो सकती।
3. पहले भी कई बार इशू कर चुका है मंत्रालय ये अलर्ट
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है की मंत्रालय ने इस मामले को लेकर चिंता व्यक्त की हो। पर कोरोना के कारण इस मामले को फिर से खोला गया है। सोमवार को अपने नोटिस में में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा की अगर किसी भी बच्चे को बिना माँ-बाप के पाया गया तो हर राज्य की ये ज़िम्मेदारी है की वो उस बाचे को 24 घंटे के अंदर डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड वेलफेयर समिति के सामने पेश करे। मंत्रालय ने ये भी बताया की ऐसे बच्चों की जानकारी चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर भी दी जा सकती है और आम जनता इसका प्रयोग कर सकती है।
4. सोशल मीडिया एडॉप्शन में कई जानकारियां निकली है फेक
गौरतलब है की सोशल मीडिया से ऐसे कई पोस्ट्स लोगों में फैलाये गए है जो पूरी तरह से ना तो वेरिफ़िएड है और ना ही सही है। कई समाज कल्याण संस्थानों ने ऐसे बहुत सारे सोशल मीडिया हैंडल को पकड़ा है जो ऐसे फेक न्यूज़ फैला रहे हैं। चाइल्ड ट्रैफिकिंग को ध्यान में रखते हुए लोगों से अपील की जा रही है की वो ऐसे एडॉप्शन वाले पोस्ट्स न शेयर करे।