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निरुपा रॉय को बॉलीवुड जगत में "क्वीन ऑफ़ मिज़री" के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने अपने पांच दशकों के करियर में ज्यादातर फिल्मों में माँओं का किरदार निभाया है। उन्होंने 270 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है जो उस समय को ध्यान में रखते हुए एक महिला कलाकार के लिए काफी बड़ी बात थी।
रॉय का जन्म गुजरात में हुआ था। फिल्म जगत में प्रवेश करने से पहले वे बच्चों को गुजराती पढ़ाया करती थीं। जब निरुपा कुछ 15 वर्ष की थीं तब उनका विवाह कमल रॉय से हो गया और वे मुंबई आ गयी थीं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक गुजराती फिल्म "रानकदेवी" से की थी। यह अवसर उन्हें तब मिला जब उन्होंने एक गुजराती समाचार पत्र में एक विज्ञापन देखा जो कलाकरों की खोज में था। फिर क्या, तुरंत ही निरुपा ने एक गुजराती फिल्म की और उसके बाद हिंदी सिनेमा में अपने कदम रखे।
शुरूआती दिनों में उन्होंने लीड रोल में अभिनेत्री की तरह काम किया लेकिन आगे चलकर उनकी माँ की छवि इतनी मज़बूत हो गयी कि लोग उन्हें इस अवतार में देखने के लिए काफी उतावले रहते थे।
दीवार में उन्होंने शशि कपूर और अमिताभ बच्चन की माँ का किरदार निभाया था जिसे लोगों ने काफी सरहाया। वह संवाद आज भी लोगों के मन में जीवित है। इसके अलावा भी उन्होंने जो अपनी विरासत छोड़ी है उसका कोई मुलाबला नहीं किया जा सकता। अपने 50 वर्ष से लम्बे करियर को अंजाम देते हुए निरुपा रॉय का निधन वर्ष 2004 में हो गया। निरुपा आज भी हमारे पूर्वजों की पसंदीदा कलाकार हैं जिन्होंने एक आदर्श माँ-बेटे के रिश्ते की नीव बॉलीवुड में बड़ी खूबसूरती से रखी थी।