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एक लड़की का खुद का घर कौन - सा होता है ?

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Swati Bundela
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एक लड़की का खुद का घर कौन सा होता है ?


यह कहानी है सारिका की , सारिका जो की एक माध्यम-वर्गीय परिवार की एक आम सी लड़की है । सारिका निहायती खूबसूरत, गुणवान, पढ़ी -लिखी लड़की है । सारिका को घर सजाने का बहुत शोंक था । वह एक बार अपनी पसंद से रेशम के परदे लेकर आयी पर उसकी माँ ने उसे वो परदे घर में लगाने से मना कर दिया और कहा की वह यह परदे अपने घर जाकर लगाए यानी उसकी शादी के बाद अपने ससुराल में । सारिका को बहुत दुःख हुआ की जिसे वह अब तक अपना घर समझकर रहती रही , जहाँ वो बड़ी हुई, आज उसे पता चलता है की यह उसका घर ही नहीं है । जैसे हर माता -पिता का अरमान होता है वैसे ही सारिका के माता -पिता का अरमान था की उनकी बेटी की शादी एक अच्छे परिवार में एक अच्छे लड़के से हो । उन्होंने एक अच्छा घर ढूंढ़कर सारिका की शादी अरुण नाम के एक व्यक्ति से की जो मुलती नेशनल कंपनी में एक मैनेजर की पोस्ट पर था । सारिका को लगा की अब वो अपने घर जाकर अपने शोंक और सपने पूरे करेगी ।
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एक लड़की कहाँ जाकर अपने सपने पूरे कर सकती है ? किससे वो अपने मन की बात खुल कर कर सकती है ?

अरुण का परिवार काफी मॉडर्न विचारों का था । उसके परिवार में उसके माता -पिता , उसकी बहन थी । सारिका बहुत खुश थी । शादी के बाद जब सारिका इस घर में आयी तो यहां की चका -चोंध देखकर वो फूली न समायी और उसे लगा की उसका नया घर कितना अच्छा है । शादी के एक महीने बाद जब सारिका ने अपनी सास यानि अरुण की माँ से घर में वो रेशम के परदे लगाने की बात कही तो उन्हें अजीब से जलन महसूस हुई क्योंकि उन्होंने इस घर का हर कोना खुद सजाया था । वह नहीं चाहती थी की इसमें कोई छेड़ -छाड़ करे इसलिए उन्होंने सारिका को साफ़ मन कर दिया और सारिका दिल मसोस कर रह गई ?
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तो दोस्तों अब आप मुझे बताएं की लड़की का खुद का घर कौन -सा होता है ? वह कहाँ जाकर अपने सपने पूरे कर सकती है ? किससे वो अपने मन की बात खुल कर कर सकती है ?
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ना तो उसके माँ -बाप के घर को वो अपना कह पाई और ना ही शादी करके वो जिस घर में गई उसे ।
#फेमिनिज्म
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