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उनकी स्थानीय भाषा में उन्हें निपुण करके
अगर हम महिलाओं को उनकी ही स्थानीय भाषा में उन्हें निपुण कर सकें, तो यह काफी लाभदायक और शायद आसान होगा। अपनी स्थानीय भाषा में हर किसी को रूचि होती है। इसलिए अगर महिलाएं यह भाषा आसानी से बोल सकतीं हैं, और इसके साथ-साथ उन्हें इसी भाषा में लिखना भी सिखा दिया जाये, तो वह बेहतर होगा। इसका उपयोग वे काफी तरह से कर सकतीं हैं। वे अपने बच्चों को स्वयं ही पढ़ा सकतीं हैं। इसके साथ-साथ अगर संभव हो तो वे अपने समुदाय से जुडी समस्याएं, आदि से जुड़े लेख भी लिख सकतीं हैं।
सामुदायिक कक्षाओं की मदद से
हो सकता है कि ग्रामीण महिलाओं को अकेले बाहर जाने और पढ़ने की इज़ाज़त न दी जाये। लेकिन यह भी एक सम्भावना है कि यदि ढेर सारी महिलाएं एक साथ शिक्षा प्राप्त करें तो उन्हें अपने परिवार का समर्थन मिले। यह संभव है हो सकता है सामुदायिक कक्षाओं की मदद से। इन कक्षाओं में महिलाएं एन्जॉय भी करती हैं और उन्हें एक-दूसरे से जुड़े रहने और बातचीत करने का एक मंच भी मिल जाता है। इन कक्षाओं में एक बार फिर से वे अपने बचपन को जीने का अवसर पा सकती हैं।
जागरूकता कार्यक्रम और अभियानों से
जागरूकता कार्यक्रम और अभियान भी लोगों को शिक्षित करने का एक अच्छा उपाय हैं। यह ज्यादातर सरकार द्वारा और गैर सरकारी संगठनों द्वारा किये जाते हैं। यह कार्यक्रम लोगों को जागरूक करने का लक्ष्य रखते हैं। इन कार्यक्रमों से लोगों का कितना लाभ हुआ, यह बाद में किये जाने वाले सर्वे से पता लगाया जाता है।
प्रतिभा कक्षाओं की सहायता से
इसमें कोई दोहराई नहीं है कि हर व्यक्ति में, चाहे वह महिला हो या पुरुष हो, बहुत काबिलियत होती है। इसलिए प्रतिभा कक्षाओं की सहायता से हम महिलाओं के भीतर छिपे हुए उनके कौशल और प्रतिभा को बाहर ला सकते हैं। हो सकता है हर महिला की पढ़ने-लिखने में ज्यादा रूचि न हो जितनी की किसी और कार्य में हो। उन स्तिथियों में यह प्रतिभा कक्षाएं काफी मदद कर सकतीं हैं।