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करन जौहर ने जो सामान्य रूप से महिलाओं पर टिप्पड़ी करने का एक मंच प्रदान किया था, क्या उसके बाद वे खुद का पालन-पोषण करने वाली महिलाओं से आँख मिला पाए?
कुछ भी कहिये, करन जौहर की कॉफी इस बार थोड़ी कड़वी निकल गयी। ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ इस बार हुआ है लेकिन इस बार लोगों ने स्वाद को इत्मीनान से चखा है।
अब बात करते हैं करन जौहर की माफ़ी की। या यूँ कहिये कि अपने शो की कुछ ज़िम्मीदारी लेने के लिए और उस पर अपनी प्रतिक्रिया देने की। क्या आपको नहीं लगता कि करन काफी सेफ खेल रहे हैं? उन्होंने माफ़ी तो मांगी है लेकिन वह कहीं से कोई माफीनामा नहीं लग रहा है। मेरे हिसाब से उन्होंने माफ़ी नहीं मांगी है, बस एक प्रतिक्रिया दी है। क्यूंकि उसमे पछतावे से ज्यादा सुगंध खुद को बचाने की आ रही है। उसमे लेकिन, अगर, आदि शब्दों की पूरी सूचि है। जो एक दिल से लिखे हुए माफीनामे में मिलने थोड़ा मुश्किल है।
अब दूसरी बात पर गौर करते हैं जहां करन जी यह बोल रहे हैं कि यह प्रश्न तो वे महिलाओं से भी पूछ चुके हैं। महिलाओं में उन्होंने दीपिका पादुकोण और आलिया भट जैसी अभिनेत्रियों की गिनती करवा दी। लेकिन यह तर्क भी कोई ख़ास पलटवार नहीं कर पाया। क्यूंकि कोई महिला प्रश्न उठाये भी कैसे?
बॉलीवुड तो वैसे भी एक लैंगिक इंडस्ट्री के रूप में उभरकर आता रहा है। क्या आलिया भट किसी ऐसे व्यक्ति की निंदा या आलोचना कर सकती हैं जिन्होंने बॉलीवुड में उनका डेब्यू करवाया हो?
क्या करन जौहर को कोई बता सकता है कि जिस टीआरपी रेटिंग के लिए वे मसाला ढूंढ़ते रहते हैं, वह टीआरपी आपके दर्शक ही आपको देते हैं। या उन्हें क्या लगता है कि देश की जनता इतनी कमज़ोर और भोली-भाली है की वे अंधों की तरह उन्हें जो भी दिखाया जायेगा उसे खुद में समेटते जायेंगे? वैसे यह तर्क अब नहीं चलने वाला। और बॉलीवुड इंडस्ट्री के सभी लोगों को खासकर इससे बचके रहना पड़ेगा। क्यूंकि #metoo की आंधी तो वहीँ से ही शुरू हुई थी।
अब अपने शुरूआती प्रश्न पर वापस आते हैं। क्या करन जौहर एक नारीवादी हैं? वैसे उत्तर तो हम सभी के सामने ही है। बेहतर होगा कि करन जौहर अब खुद को एक नारीवाद कहना बंद करें क्यूंकि जब वे ऐसा कहेंगे तो लोगों को किसी सेक्सिस्ट टिप्पड़ी करने वाले और किसी नारीवादी व्यक्ति में अंतर समझने में परेशानी हो सकते है। वही परेशानी जिसका शिकार खुद करन जौहर हो गए।