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रिसर्च के अनुसार
अंतर राष्ट्रीय आर्काइव्ज जोफ ऑक्यूपेशनल एंड एनवायर्नमेंटल हेल्थ के जर्नल के अनुसार वस्ट्रबोटोम इंटरवेंशन प्रोग्राम में स्वीडिश आबादी पर रिसर्च की गई।
औरतों और पुरुषों को 20 साल तक 3 अलग अलग समय में देखा और परखा गया इस तरह की पता चले कि कब कितने काम से वज़न में कमी होती है। ये या तो 30-50 के बीच होते या 40-60 के बीच। हिस्सा लेने वाले लोगों से काम की गति, मानसिक दबाव, क्या उनके पास पास अपना काम निपटाने के लिए काफी समय था, और कैसे कई कई बार इनकी मांगो को पुरा नही किया जाता था, ये सब पूछा गया।
नतीजे
देखा ये गया कि जिन लोगों को कम काम दिया गया और उनका उसपे नियंत्रण काम था, उन्होंने वज़न थोड़ा बोहोत बढ़ाया समझिए 10% या ज्यादा। ये औरतों और मर्दो पे एक जैसा किया गया।
हालांकि ज्यादा काम करने के नतीज़े ज्यादा देर तक सिर्फ औरतों को झेलना पड़ा। आधे से ज्यादा औरतों के साथ ये देखा गया कि जैसे ही उनपे काम का बोझ पड़ा, 20 साल में उनका वज़न बहुत बढ़ गया। ज्यादा काम करने वाली और काम काम करने वाली के वज़न में 20% का फर्क देखा गया।
औरतों का वज़न बढ़ने का कारण
ये फर्क हम ने सिर्फ और सिर्फ औरतों में देखा गया। इसके पीछे के कारणों पर इतना ध्यान नही दिया गया पर कार्य क्षेत्र में दबाव और घर की ज़िम्मेदारी इस वज़न के बढ़ने के पीछे का बड़ा कारण है। ये एक महिला को शारीरिक रूप से स्व्स्थ नहीं रखेगा।
पढ़ाई करने से या न करने से और खाने का तरीका और सलीका इसके पीछे के कारण है या नही ये नही पता।पोषण ग्रहण कर ने का तरीका पूछा ज़रूर गया पर क्या इसपे विश्वास किया जा सकता है कि बड़ी बात है ये सोचके की इंसान सच बोल रहा है या नही।