New Update
कैसे देखता है समाज समलैंगिकता को?
पुरातत्व भारत में समलैंगिकता को एक प्राकृतिक रूप से सही चीज़ माना जाता था। मनुस्मति में समलैंगिकता पे एक पूरा अध्याय है। अर्थशास्त्र में इस झुकाव को अपराध तो नही माना जाता था किंतु समलैंगिक लोगों को शारीरिक तौर से एक होने की अनुमति नही दी जाती है। पद्मावत के अनुसार खिलजी , मालिक काफ़ूर से प्यार करता था जोकि एक समलैंगिक रिश्ते की तरफ इशारा करते है।
मुग़ल समय में हिजड़ों को पनाह दी जाती थी और उन्हें सुरक्षा का दाइत्व दिया जाता था, किन्तु समलैंगिक तौर से एक होने पे निषेध था। ब्रिटिश के समय में होमोसेक्सुअल होने को प्राकृतिक रूप से अस्वीकार किया गया एवं इसे अपराध बताया गया।
आज का समय-रूढ़िवादी या अपनाने वाला?
जबसे ईसे एक अपराध के तौर से देखा गया, समाज ने समलैंगिकता को भी एक अपराध या प्राकृतिक रूप से गलत देखा। कई बार जब माँ पिता को पता लगता कि उनकी औलाद का समलैंगिक झुकाव है तो जादू टोना या ईसे एक मानसिक बीमारी के रूप में देखा गया। हिदजो को एक अशुद्ध रूप से देखा गया एवं उन्हें अछूत क़रार करदिया गया।
कानून ने भी इस झुकाव को सही माननें से इंकार किया एवं समलैंगिकता एक कानूनी अपराध बन गया । सेक्शन 377 ने पुलिस को समलैंगिक जोड़ो पे हमला करने की आज़ादी दी एवं इन जोड़ो के मन में डर पैदा करदिया।
सेक्शन 377 का निषेध-सही या गलत?
काफी सालो की जद्दोजहद के बाद 2018 में ये इस कानून का निशेध हुआ एवं कानूनी तौर से ईसे स्वीकार किया गया। अभी भी ये जोड़े विवाह नही कर सकते पर जो दर इनके मन में था, वो अब खत्म हो चुका है।
इन्हें समाज में आज भी स्वीकार नही किया जाता ये तो सत्य है किंतु अब इन्हें कोर्ट में जाके अपने खिलाफ होने वाले जुर्म के लिए खड़े होने में हिचक नही होगी।
क्या अब मिली आज़ादी?
जोयिता मोंडल ने पहली ट्रांसजेजेंडर जज बन और स्पेन की मिस वर्ल्ड एंजेला पॉन्स ने इन समलैंगिक जोड़ो का सार ऊंचा किया । अभी आये हुए ट्रांस बिल जिसमे समलैंगिक जोड़ो को बच्चा गोद लेने से माना किया है उसके खिलाफ ये लोग लड़ रहे है। आशा है इनकी ये कामना पूरी होगी और एक दिन प्यार करने की आज़ादी को स्वीकार किया जाएगा।