क्या 2019 में महिलाएं सुरक्षित महसूस करेंगी?

author-image
Swati Bundela
New Update

कार्यस्थल पर यौनउत्पीड़न


“मी टू” मूवमेंट ने दुनिया को ये बताया कि कैसे अपने क्षेत्र में जाने माने महिलाओं के साथ भी यौन उत्पीड़न हो रखा है या हो रहा है। इन महिलाओं ने बाकी महिलाओं को एक प्रेरणा दी जहां अब आम औरतें भी बाहर निकल अपने अनुभव के बारे में बता सकती है। ये ज़रूरी इसलिए है ताकी दुसरो को ये पता चले कि अगर एक महिला ज़ुल्म सहती है , इसका मतलब ये नही की वो सहती जायेंगी। एक महिला शशक्त होने के बावजूद भी इसका शिकार होती आयी है, क्योंकि नौकरी पाना आवश्यक है , किन्तु कुछ लोग उनके रास्ते के बीच की अड़चन ऐसे बनके आते है।

तनुश्री दत्त ने बॉलीवुड और भारत में इसकी शुरुआत की जिसके बाद काफी सारी महिलाएं बाहर आई। बाहर आना इसलिए भी ज़रूरी है ताकि जो उनके साथ हुआ, उसका न्याय उन्हें मिले एवं आने वाली महिलाओं के लिए एक सुरक्षित काम का वातावरण बन सके। मी टू के साथ कई हॉलीवुड एक्ट्रेसस भी जुड़ी जहाँ अपनत्व दिखने के लिए सबने काला
रंग पहना। आशा है कि 2019 में यही मी टू के परिणामस्वरूप काम की जगहों पे औरतो के साथ अच्छा बर्ताव हो।

अपनेआपसेप्यारकरना


2018 में विक्टोरिया सेक्रेस्टस नामक मसहूर फैशन शो में वींनै हरलौ ने डेब्यू किया । उनके पूरे शरीर पर निशान है पर वो उससे काफी खुश और संतुष्ट है। ये स्वभाव इकीसवीं सदी में एक बोहोत ज़रूरी बात है। पाया ये गया कि दुनिया में आधे से ज्यादा तादाद में महिलाएं अपने रंग और रूप से खुश नही है। इस दशक में जहां बल और बुद्धि की प्रतियोगिता होती है, वहां अपने रूप और रंग को लेके कुछ महिलाएं चिंतित होती है। उन्हें ये समझना चाहिए कि अगर उन्हें कोई दिल से पसंद करता है, तो वो उनके रंग या रूप को नही बल्कि उनके स्वभाव और गुण को देखेगा।

हॉनरकिलिंग


ये एक काफी ज़रूरी विषय है जोकि धड़क और सैराट जैसे मूवीज हमारे सामने लाये। भारत जैसे देश में जहां अभी भी जात पात और ऊंच नीच का फर्क है , वही प्रेमी जोड़ों को जोकि अलग अलग जाती के होते है, उनका या तो कत्ल कर दिया जाता है, या उन्हें अलग करदिया जाता है। मोडर्निसशन में जहाँ हम सब अपनी मेहनत से आगे बढ़ने में लगे हैं, वही ऑनर किलिंग जैसे दुष्कर्म से हम पीछे रह जाते है इस मोडर्निसशन में।

लेस्बियनऔरबिसेक्सयूएलझुकाव


आरटीकल 377 के पास होजाने से अब लेस्बियन और बिसेक्सयूएल महिलाओं को अपनी पहचान छुपाने की ज़रूरत तो नही है क्योंकि उन्हें कानून से संरक्षण मिला है पर अभी भी भारतीय समाज इस झुकाव को मज़ाक या दिमागी संतुलन खो बैठने के तरिके से देखता है। इन लोगो को कानून का संरक्षण इसलिए चाहिए था क्योंकि लोग ही इन्हें नही स्वीकारते, जब लोग इन्हें स्वीकारेंगे, तब नाहि तो इन्हें कानून की रक्षा चाहिए होगी, नाहि इन्हें भय होगा।

ट्रैफिकिंग


ह्यूमन ट्रैफिकिंग यानी कि गलत तरह से लड़कियों का इस्तेमाल करना या उन्हें बेच के या खरीद के उनका अनुचित लाभ उठाना। छोटी छोटी बच्चियों को सऊदी अरब या दुबई जैसी जगहों पे लेजाया जाता है जहां उनसे उनका बचपन छीन लिया जाता है। स्लमडॉग मिलनेर में दिखाया गया कि कैसे छोटे बच्चो के अंग निकल उनसे बीख मंगवाया जाता है  और लड़कियों के साथ उनके ओवरीज निकाल लिए जाते है या फिर उन्हें सरोगेट का काम पकड़ा दिया जाता है।

अंतमें


ये पांच ऐसे विषय है जिनके रुकने से ही ये देश महिलाओं के प्रति और सजग बनेगा। इन्हें सुलझाए बिना कोई देश प्रगति नही कर पायेगा। आशा है इस नए साल इन सब ध्यान रखने वाले विषयों से हमें मुक्ति मिलेगी।
#फेमिनिज्म