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महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम योग्य माना जाता था. महाकाव्यों की व्याख्या और संचार पुरुषों के एक विशेष वर्ग, ब्राह्मणों द्वारा किया गया, जिनका स्वार्थ अपनी स्थिति को बनाए रखने और महिला आबादी को नियंत्रित करने के लिए था. महिलाओं को नियमों के अनुसार शास्त्र पढ़ने या सुनने की अनुमति नहीं थी. अभी भी पुरुषों की खुशी के लिए उपयोग की जाने वाली वस्तुएं ही मानी जाती है.
हमारी दुनिया में एक लिंग दूसरे का शोषण करता है. जहां पुरुष वर्चस्व की लड़ाई लड़ते हैं, वहीं महिलाएं निर्दयता से अपमानित होती हैं.
महाभारत में, रानी द्रौपदी की गरिमा का घोर उल्लंघन किया गया. उसकी पवित्रता और बुद्धिमत्ता के लिए सम्मानित होने के बजाय, द्रौपदी का दुरुपयोग किया गया. एक पुरुष-प्रधान समाज में अपने अधिकारों की रक्षा करने की कोशिश करते हुए, वह पांडवों (द्रौपदी के 5 पतियों) और कौरवों के बीच युद्ध के बीच में दी गई.
द्रौपदी ने पुरुष समाज को असलियत दिखाई
जो बात द्रौपदी को खास बनाती है, वह है कि द्रौपदी अपने ऊपर हुए अत्याचार का जवाब देती है. सबसे पहले, वह अपने पति युधिष्ठिर को डांटती है कि क्या सोच कर उन्होंने अपनी पत्नी को दांव पर लगा दिया. वह अन्य उपस्थित महापुरुषों से पूछती है कि उन सब ने बात इतनी बढ़ने कैसे दी. वो चुप नहीं बैठी और न ही चुप चाप सही. कोई भी उसके सवालों का जवाब नहीं दे पाया. और उसने अपनी रक्षा अपने विश्वास और पुण्य से की, श्रीकृष्ण से प्रार्थना करके. द्रौपदी वो महिला है, जिसने पुरुष समाज को असलियत दिखाई, वह कितने असमर्थ है, और कोई भी मर्द कहलाने लायक नहीं.
पुरुषों ने हमेशा से ही महिलाओं पर अधिकार जताया है. द्रौपदी के पास अधिकार और स्वायत्तता की भावना थी, जिसने कौरवों को डराया. इसलिए, द्रौपदी को अपमान और हमले का निशाना बनाया गया.
भावना और स्वायत्तता का दमन किया जाता है
भारत के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं पर होने वाले दुष्ट अत्याचार प्रमुख हैं. लड़कियों को शिक्षित होने से रोक, जल्दी शादी करने या उन्हें यौन उद्योग में फेंक, उनकी भावना और स्वायत्तता का दमन किया जाता है. महिला उत्पीड़न चरम पर है जिसे रोका जा सकता है, द्रौपदी के जैसे, आवाज़ उठा कर और अत्याचार के खिलाफ जुंग शुरू करके.
द्रौपदी एक सशक्त, सुन्दर, कौशल और ज़िद्दी मगर कोमल महिला पात्र है जो बहुत कुछ सीखाती है. आज की महिलाओं को अत्याचार से डरना नहीं है, न चुप रहना है और न ही कठोर बन खुद को खो देना है. अपनी ताकत को पहचानिए.
(stills from T.V. serial)