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क्यों ज़रूरत है हमें धन के बारें में बात करने की

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Swati Bundela
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पैसों की बात करने से घबराएं नहीं


आजकल की औरतें हर जगह बराबरी कर ही रहीं है तो पैसों से दूर क्यों रहें? इसकी शुरुआत इसके बारे में बात करके होगी। हम भी घर खरीदने की बात कर सकते है या परिवार को आर्थिक तौर से संभाल सकते हैं या खाते हुए बिल भर सकते हैं।
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मंजुला धर्मालिंगम जो कि अपने प्रोग्राम से औरतों को नौकरी देती हैं और नौकरियों में उन्हें कोई तकलीफ़ न हो इसकी जिम्मेदारी लेती हैं उनका ये कहना है कि “औरतों को इस बारे में नही पता कि उन्हें अपना पैसा कैसे खर्च करना चाहिए या कैसे संभालना चाहिए”। उन्हें हमेशा से यही समझाया गया कि उन्हें इस बारे में बात नहीं करना चाहिए या पुरुषों पे छोड़ देना चाहिए।

रुग्स एंड बियॉन्ड में काम करने वाली साक्षी तलवार का कहना है कि छोटी से छोटी बात अपने दोस्तोँ के साथ भी इस बात को ज़रूरी बना देता है। “हमारे यहाँ पैसों के बारे में बात करने से लोगों को काफ़ी असुविधाजनक लगता है। लोगों को लगता है कि पैसों के बारे में बात करने से रिश्तों में दरार आती है पर हमें इस बारे में प्रोफ़ेशनल और पर्सनल में भी बात करनी चाहिए। ये बातों को और आसान और सुलझा हुआ बना देता है”। क्योंकि साक्षी के पास ऐसे लोग थे जो इस बारे में बात करना चाहते थे, उनकी पहुँच बढ़ी।
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पैसों के बारे में बात करने से आप अपना वर्चस्व बढ़ा सकते हैं


मॉन्स्टर इंडेक्स द्वारा एक सर्वे से पता चला कि पुरुषों को देखते हुए महिलाओं को बस 80 प्रतिशत पैसे या आय दिया जाता है। अर्चना सुराणा जो कि आर्च डिज़ाइन कंपनी की संस्थापक हैं उन्होंने कहा कि “हमें पता होना चाहिए कि ये फर्क है और क्यों है और कैसे हम अपनी बात आगे रख के इस फर्क को कम कर सकते हैं”।
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सारिका भट्टाचार्य जो कि बियॉन्ड डाइवर्सिटी की सी.इ.ओ हैं उनके अनुसार आर्थिक निर्णय और खुद के पैसों का ख्याल रखना एक साधरण बात है और इसे ऐसे ही देखना चाहिए” वो औरतों से पैसों को लेकर बात करती हैं और उन्हें राह दिखाती हैं।

लोगों से पूछिए और रास्ते निकालिये

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लोगोँ का ये मानना है कि पुरुषों को इन सब चीज़ों में ज्यादा अनुभव है पर ऐसा नहीं है क्योंकि औरतों को भी पैसा बचाने के अनुभव होता है। “पैसे बचाने के लिए किसी से पूछना आवश्यक है, और ये आपकी राशि बढ़ाता है” कहना है अर्चना का। साक्षी के अनुसार “हमें आर्थिक सहायता को दूसरे सहायता की तरह ही लेना चाहिए। हम मुसीबत में है और इसका जोड़ चाहते है, इसमें ग़लत क्या है?”

पैसा हमें शशक्त करता है

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पढ़ाई आपको आर्थिक रूप से शशक्त बनाता है और जब आप ये पा लेते हैं तो आपको इसे बचाने और बढ़ाने के तरिकों के बारे में पता होने की पूरी आज़ादी है। पैसा हमें अपने अनुसार जीने की और खर्च करने का जरिया देता है।

ऐसी बहुत सी बातें हैं जो समाज हमें करने से रोकता है जैसे मासिक धर्म , पैड्स या अपने मर्ज़ी से विवाह, प्यार करना और आर्थिक सहायता के बारे में न बात करना। पर ये हमारे ऊपर से है कि हम इन सब बातों से ऊपर उठके कुछ करना चाहते है, अपने आप को निखारने चाहते हैं या इन बातों के नीचे दबे रहना चाहते हैं।
मनी और इन्वेस्टिंग
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