New Update
अगर दूर से देखा जाये, तो गर्ल्स कॉलेज में जाने का ख्याल इतना उत्तेजित नहीं करता। हो सकता है कि सुनने वालों को भी यह विचार बोरिंग सा लगे। लेकिन असलियत में, गर्ल्स कॉलेज में रहने का, पढ़ने का, और समय बिताने का अनुभव बेहद ख़ास होता है। अपनी कॉलेज लाइफ का हर व्यक्ति बेसब्री से इंतज़ार करता है और जो लोग कॉलेज से पढ़ कर निकल चुके हैं, वे बेशक आज भी उन दिनों को याद करते हैं। लेकिन अगर आपका कॉलेज एक गर्ल्स कॉलेज है, फिर तो आप कभी भी अपने इस फैसले पर अफ़सोस नहीं कर पाएंगी। गर्ल्स कॉलेज में होने की यह कुछ लाभ हैं, जिन्हें हम महसूस तो करते ही हैं लेकिन अन्य लोगों का भी इन्हें जानना ज़रूरी है।
गर्ल्स कॉलेज कि यह शायद सबसे ख़ास बातों में से एक है। लड़कियों को अपने नेतृत्व को पहचानने और उसे मज़बूत करने का मौका मिलता है। वह कॉलेज प्रेजिडेंट और वाईस-प्रेजिडेंट से लेकर सभी कॉलेज सोसाइटीज के एहम पद पर होती हैं और अपने नेतृत्व को सबके सामने रखती हैं। ऐसा नहीं है कि सामान्य कॉलेजों में लड़कियों को अपने नेतृत्व को दिखाने का मौका नहीं मिलता लेकिन फिर भी, गर्ल्स कॉलेज में इसकी संभावनाएं काफी अधिक होती हैं।
फेमिनिज्म का मतलब हर व्यक्ति के लिए एक नहीं है फिर चाहे वे लड़कियां ही क्यों न हों। लेकिन, गर्ल्स कॉलेज में जैसे फेमिनिज्म और नारीवाद की हमेशा लहर उठी होती है। लड़कियों के बीच पारम्परिक मुद्दों के अलावा बात करने और चर्चा के लिए अब नए मुद्दें होते हैं और वे ज्यादातर महिला-केंद्रित होते हैं। इन चर्चाओं से उनका मानसिक विकास प्रगति की ओर होता है। साथ ही, सभी महिलाएं खुद को सक्षम और सशक्त महसूस करती हैं। फेमिनिज्म के सभी पहलु सामने आते हैं जब हर समाज और हर वर्ग की महिलाएं अपनी राय सामने रखती हैं।
गर्ल्स कॉलेजेस का करिकुलम बहुत बेहतर तरह से विभाजित और विविध होता है। किताबें सिर्फ पितृसत्ता के बारे में ही बात नहीं करतीं। कॉलेजों में मॉडलिंग से लेकर डिबेटिंग का, और पोएट्री से लेकर खेल-कूद का वातावरण होता है। लड़कियां जिस क्षेत्र में अपनी रूचि महसूस करतीं हैं, वे उस क्षेत्र में बिना किसी डर के अपने कदम बढाती हैं। इसकी साथ ही, गर्ल्स कॉलेजों में जैसे सेक्सिस्म बिलकुल जीरो लेवल पर होता है। इन सब चीज़ों के चलते, लड़कियों को अपने आत्मविश्वास को और आत्म-सम्मान को बढ़ाने और उसे मज़बूत करने का मौका मिलता है।
निश्चित रूप से महिलाएं आज स्वयं को हर क्षेत्र में सशक्त करने का प्रयास कर रही हैं। और यदि आप किसी गर्ल्स कॉलेज में हैं, तो आपको उनके आस-पास रहने का और उनकी स्वतंत्र विचारधारा को समझने का मौका मिलने की संभावना है। उदाहरण के तौर पर अपनी महिला प्रोफेसर्स को ही ले लीजिये। यह महिलाएं अपने जीवन में सफल हैं और उससे भी आगे बढ़ने का निरंतर प्रयास करतीं हैं। जब हम लड़कियां इन महिलाओं को देखतीं हैं, तो हमे भी अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रेरणा मिलती है।
पढ़िए: क्या दिल्ली विश्वविद्यालय में लगते हैं नारीवाद के नारे?
अपने नेतृत्व को मज़बूत करने का मौका
गर्ल्स कॉलेज कि यह शायद सबसे ख़ास बातों में से एक है। लड़कियों को अपने नेतृत्व को पहचानने और उसे मज़बूत करने का मौका मिलता है। वह कॉलेज प्रेजिडेंट और वाईस-प्रेजिडेंट से लेकर सभी कॉलेज सोसाइटीज के एहम पद पर होती हैं और अपने नेतृत्व को सबके सामने रखती हैं। ऐसा नहीं है कि सामान्य कॉलेजों में लड़कियों को अपने नेतृत्व को दिखाने का मौका नहीं मिलता लेकिन फिर भी, गर्ल्स कॉलेज में इसकी संभावनाएं काफी अधिक होती हैं।
फेमिनिज्म पर चर्चा और उसे सही तरह से समझना
फेमिनिज्म का मतलब हर व्यक्ति के लिए एक नहीं है फिर चाहे वे लड़कियां ही क्यों न हों। लेकिन, गर्ल्स कॉलेज में जैसे फेमिनिज्म और नारीवाद की हमेशा लहर उठी होती है। लड़कियों के बीच पारम्परिक मुद्दों के अलावा बात करने और चर्चा के लिए अब नए मुद्दें होते हैं और वे ज्यादातर महिला-केंद्रित होते हैं। इन चर्चाओं से उनका मानसिक विकास प्रगति की ओर होता है। साथ ही, सभी महिलाएं खुद को सक्षम और सशक्त महसूस करती हैं। फेमिनिज्म के सभी पहलु सामने आते हैं जब हर समाज और हर वर्ग की महिलाएं अपनी राय सामने रखती हैं।
अपने आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ाये
गर्ल्स कॉलेजेस का करिकुलम बहुत बेहतर तरह से विभाजित और विविध होता है। किताबें सिर्फ पितृसत्ता के बारे में ही बात नहीं करतीं। कॉलेजों में मॉडलिंग से लेकर डिबेटिंग का, और पोएट्री से लेकर खेल-कूद का वातावरण होता है। लड़कियां जिस क्षेत्र में अपनी रूचि महसूस करतीं हैं, वे उस क्षेत्र में बिना किसी डर के अपने कदम बढाती हैं। इसकी साथ ही, गर्ल्स कॉलेजों में जैसे सेक्सिस्म बिलकुल जीरो लेवल पर होता है। इन सब चीज़ों के चलते, लड़कियों को अपने आत्मविश्वास को और आत्म-सम्मान को बढ़ाने और उसे मज़बूत करने का मौका मिलता है।
सफल और स्वतंत्र महिलाओं के बीच रहने का अवसर
निश्चित रूप से महिलाएं आज स्वयं को हर क्षेत्र में सशक्त करने का प्रयास कर रही हैं। और यदि आप किसी गर्ल्स कॉलेज में हैं, तो आपको उनके आस-पास रहने का और उनकी स्वतंत्र विचारधारा को समझने का मौका मिलने की संभावना है। उदाहरण के तौर पर अपनी महिला प्रोफेसर्स को ही ले लीजिये। यह महिलाएं अपने जीवन में सफल हैं और उससे भी आगे बढ़ने का निरंतर प्रयास करतीं हैं। जब हम लड़कियां इन महिलाओं को देखतीं हैं, तो हमे भी अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रेरणा मिलती है।
पढ़िए: क्या दिल्ली विश्वविद्यालय में लगते हैं नारीवाद के नारे?