Advertisment

जानिए कैसे उद्यमिता के रस्ते पर चलकर सशक्त हुई पद्मा

author-image
Swati Bundela
New Update

Advertisment

पद्म रिकामे की कहानी


पद्म काशीनाथ रिकामे पडवालपडा से आई 32 साल की महिला उद्यमती हैं। इन्होंने 7वी का पढ़ा और ये ऊर्जा स्वयं सहायता महिला समूह की अध्यक्ष बनी।
Advertisment

पद्म के घर में उनकी एक छोटी बेटी के साथ साथ उनकी बहन और उनकी दो बेटियां रहती हैं। उन्होंने बचपन से ही अपनी माँ को गौधड़ी बनाते हुए देखा और उन्हें इस कार्य में निपुणता हासिल है। उन्होंने शुरुआत से ही अपनी माता को दूसरों के खेतों में काम करते हुए देखा।

वो नहीं चाहती कि उनकी बेटी इतना कुछ देखे जिसके कारण वो संस्था में मन लगा के काम करती हैं।आज पद्मा ताई समूह के मुख्य कमिटी की सदस्य है। गोधडी उद्योग को बड़ा करना उनका सपना है। वे गोधडी प्रकल्प के माध्यम से उनके जैसी अनेक औरतो को हिम्मत और जीने का लक्ष देना चाहती है। गोधडी बनाना एक कला है जो ज्यादा करके गांव के औरतो में होती है। गांव में पुराने कपडो से गोधडी बनायीं जाती है। गोधडी उद्योजगता प्रकल्प के माध्यम से इस कला को बाजार उन्मुख बनाया और इस कला को सराहा है। गए 2 साल में महिलाओं ने 24 लाख से ज्यादा रकम का उद्योग किया है। शुरुवात में 12 महिलाएँ जुडी थी और अब 45 महिलाएँ प्रकल्प से जुड़ी हैं।

Advertisment

पद्म ऊर्जा स्वयं में काम करती हैं जहाँ उन्होंने पुणे एवं मंझिगोँ डाकयार्ड से संबंध बनाए जिसकी मदद से उन्होंने गोधड़ी की बिक्री करनी शुरू की। पद्माताई ऊर्जा समूह में खूब महनत करती है और बहुत सारी जिम्मेदारी ली है. मगर अब गोधडी प्रकल्प के कारण, उनके और अपनी लड़कियों की इच्छाओं और जरूरतों को पूरा करने के लिए समर्थित हो गयी है।

पद्म अपने पति से अलग होगयी थी जिसके कारण उस समय उनकी हालत खराब होगयी थी और वो बहुत कमज़ोर होगयी थी। जब वह गोधडी प्रकल्प में आयी, तो उन्हें आत्मसम्मान से दो पैसे मिले और उनका आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद हुई , और कहा कि उनके पास जीवित रहने के लिए एक उत्साह आ गया है और उन्हें एक लक्ष मिल गया है।
इंस्पिरेशन
Advertisment