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मिलिए 22 वर्षीय मुंबई की हैमंती से जो मुफ्त में गरीबों के बच्चों को पढ़ाती है

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Swati Bundela
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इस कदम
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की शुरुआत
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हैमंती आपकी और हमारी तरह ही एक आम इंसान है पर उन्हें हमसे अलग उनकी सोच ने बनाया एक दिन जब हैमंती ने कांदिवली स्टेशन के बाहर, सीढ़ियों पर बैठे कुछ बच्चों को देखा तो वह बहुत निराश हुई और उन बच्चो से उन्हें उनके माता पिता के पास ले जाने को कहा हैमंती ने जब उनके माता पिता से उन बच्चो की पढ़ाई के बारे में पुछा तो उन्होंने कुछ भी सही तरीके से उन्हें नहीं बताया । हैमंती समझ गई की वह लोग सच  नहीं  बोल रहे है ।

हैमंती ने बिना किसी और बात की परवाह किये उन्हें पढ़ाई करवाने की ज़िम्मेदारी उठाई की वो कल से दोपहर तीन बजे आकर उन बच्चो को पेंटिंग और क्राफ्ट सिखाएंगी इतना सुनते ही वह माता -पिता बोले की हम उनको स्कूल से निकलवा देती है क्यों आप ही इन्हे पढ़ाएं , लिखायें और इनके कपड़े और खाने का खर्च उठाये ?

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चुनौतियां
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पर हैंमंती ने हिम्मत नहीं हारी और डटी रही। उन्होंने इन बच्चों की पढ़ाई के लिए एक पास के स्कूल में भी बात की पर वहाँ भी मुश्किलें कम नहीं थी ।

उन्होंने कहा, “हम उन्हें स्कूल में एडमिशन दे सकते हैं, लेकिन न तो ये बच्चे और न ही उनके माता-पिता स्कूल की परवाह करते हैं। उन्हें स्कूल में बनाए रखना मुश्किल है क्योंकि वे लंबे समय तक अनुपस्थित रहते हैं। यदि आप गारंटी दे सकते हैं कि वे स्कूल में रहेंगे, तो हम आपकी मदद करेंगे। ”हैमंती के इरादे नेक थे। लेकिन क्या वह वादा कर सकती है कि ये बच्चे स्कूल में रहेंगे? नहीं।
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इसलिए, उसने खुद को इन बच्चों को पढ़ाने और स्कूल की कठोरता के लिए उन्हें तैयार करने की ज़िम्मेदारी ली । मई से अक्टूबर 2018 तक, उन्होंने उन्हें कुछ - कुछ  दिनों में पढ़ाया, लेकिन नवंबर के बाद से वह उन्हें हर दिन एक घंटे के लिए पढ़ा रही हैं।
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फिर उन्होंने शुरुआत की अपने ऍनजीओ जूनून की जहां अब वो 8 सदस्यों की मदद से इन बच्चो को डांस, क्राफ्ट और पढ़ाई करते है ।

हैमंती जैसे लोग वाकई हमारे देश में मिसाल है ।
इंस्पिरेशन
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