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"हर दिन कुछ ऐसा प्रयास करें जो आपको जीवन भर खुश रखे" - मोमप्रेन्योर मनासा प्रिया येडला

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Swati Bundela
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मनासा ने एमबीए किया है और साइकोलॉजी और पैरासाइकोलॉजी में मास्टर्स की उपाधि हासिल की है। लेकिन, उनका प्रोफेशनल करियर एक तरह से तब शुरू हुआ जब उन्होंने अपनी बैंकर की नौकरी छोड़ दी और अपने बेटे की देखभाल करने के लिए घर में ही रहने लगीं। उन्होंने शीदपीपल से बात करते हुए अपसाइक्लिंग के बारे में बताया और अन्य एहम बातों पर भी चर्चा की।

कला और शिल्प में रूचि

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मनासा ने बताया कि जब वे छोटी थीं तबसे ही कला और शिल्प में उनकी रूचि थी। स्कूल में उन्होंने इससे जुडी हुए काफी चीज़ों को सीखा। लेकिन, इसके साथ-साथ जिस तरह से उनकी माँ पुरानी चीज़ों से नयी चीज़ें बनातीं थीं, उसने उनके दिमाग पर एक गहरी चाप छोड़ दी। जब शेड्स और कलर्स की बात आती है तो पैस्टल्स उन्हें बहुत लुभावित करते हैं। नवीनतम और समकालीन शैलियों को अपनाने से लेकर पेपर तक का वह इस्तमाल करती हैं।

पुरानी चीज़ों को किसी उत्पादक में बदलना मेरे लिए पूर्ण आनंद की बात है। -  मनासा प्रिया येडला

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नयी शुरुआत करने का कारण


"स्वास्थ्य से जुडी समस्याओं के चलते मैंने अपने कॉर्पोरेट करियर में वापस न जाने का फैसला किया। मैं हमेशा ऐसा कुछ करना चाहती थी जिसके लिए मैं भावुक हूँ और कभी उससे ऊब न जाऊं। जब मैं घर पर थी, तब ही अपसाइक्लिड का विचार मेरे मन में आया। यह मूल रूप से खुद को व्यस्त रखने के लिए था और जल्द ही मैंने महसूस किया कि मेरा ह्रदय यहीं पर है। मैं एक माँ और शिल्प व्यक्ति के रूप में संतुष्ट हूँ"।
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अपसाइक्लिंग का विचार


"मैंने अपसाइक्लिड की शुरुआत नयी यादों को बनाने के मोटो से थी। मैं पुराने डिब्बों, स्क्रैप पेपर्स, बेकार बोतलों, आदि के इस्तमाल से नयी सजावट की चीज़ें बनाती थी। यह मेरा मुख्य ध्यान था जो आगे चलके मिक्स्ड मीडिया, पेपर क्राफ्टिंग, जैसे चीज़ों तक में फ़ैल गया। यह सब तकनीकें स्व-शिक्षित हैं और मैं धार्मिक रूप से इनका प्रयोग करती हूँ"।
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"मैं हमेशा से यह मानती थी कि हाथ से बनायीं हुए चीज़ें अपने आस-पास खुशी फैलाने का एक शानदार तरीका हैं क्यूंकि उनमे एक व्यक्तिगत स्पर्श होता है।" - मनासा प्रिया येडला


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 सोशल मीडिया और डिजिटल दुनियां का योगदान


"बहुत कम लोग इसे अपने करियर की तरह लेते हैं और काफी लोग तो इसे करियर भी नहीं समझते। मैं उन लोगों तक पहुंचना चाहती हूँ जो ऐसा ही कुछ करना चाहते हैं लेकिन उनके पास उपयुक्त साधन, ज्ञान, और मागर्दर्शन नहीं है। अपने ब्लॉग और सोशल मीडिया की वजह से मैं लोगों में जागरूकता लाना चाहती हूँ। मैं रीव्यूज देने के साथ-साथ वर्कशॉप्स भी करती हूँ जिनका भी आईडिया समान ही है"।
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महिला स्वतंत्रता पर विचार


मनासा ने बताया कि उनकी माँ ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया है और उन्हें देख कर ही उन्होंने काफी चीज़ें सीखी हैं। ऐसा कोई उत्सव नहीं गया है जिसमे उन्होंने अपने हाथ से कोई कार्ड या गिफ्ट न बनाया हो। यही आगे चलकर उनका पैशन और प्रोफेशन बन गया।

एक बच्चे की तरह मैं अपने सभी काम अपनी समझ से करती थी और इसी चीज़ ने मुझे स्वतंत्रता को समझने में मदद की है।


काम-काज़ी महिलाओं से जुड़े हुए कलंक


"महिलाओं को काफी चीज़ों से गुजरना पड़ता है जब समाज की बात आती है। लेकिन, मुझे लगता है कि महिलाओं के अंदर इन सभी नकारात्मक चीज़ों और कलंकों से ऊपर उठने की शक्ति होती है। मैंने भी शुरूआती दौर में इन चीज़ों का सामना किया है। लेकिन अगर कोई समर्थन साथ हो, तो हम अपनी पूरी दिनचर्या को समझ सकते हैं"।

मातृत्व की व्यक्तिगत और प्रोफेशनल जीवन में भूमिका


"मातृत्व ने मुझे बहुत धैर्य रखना सिखाया है और यह शायद सारी माएँ मानेंगी। परिपक्वता भी, मातृत्व के साथ आती है। भावुक होना और लगातार चलते रहना मुझे पसंद है"।

मेरे पास एक बच्चा है और मैं काम भी करती हूँ जो बिलकुल आसान नहीं है। सारी जिम्मेदारियों को संतुलित करना आसान नहीं है लेकिन यह मेरा विकास करने में भी मेरी मदद करता है।


उद्यमी माताओं के लिए सलाह


"मैं कहना चाहूंगी कि वे कड़ी मेहनत करें और अपने सपने को कभी अधूरा न छोड़ें। घर और परिवार एक एहम जिम्मेदारियां हैं लेकिन उसके साथ-साथ हमारा सपना भी उतना ही ज़रूरी है। वे जिस चीज़ के लिए भावुक हैं, उसके लिए उन्हें काम करना चाहिए"।

यह इंटरव्यू पहले भावना बिष्ट द्वारा अंग्रेजी में लिया गया था।
मातृत्व सोशल मीडिया वीमेन एंट्रेप्रेन्यूर्स #अपसाइक्लिड #स्वतंत्रता
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