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हमारे समाज में लिंग के आधार पर हज़ारों सालों से विभाजन चला आ रहा है। एक तरफ अगर हम इस विभाजन और मतभेद को दूर करने करने की उम्मीद करते हैं, तो दूसरी तरफ इस विभाजन से महिलाओं पर अत्याचार की संख्या भी बढ़ती जा रही है। जानी-मानी रिपोर्ट्स ने भारत को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बताया है। और तो और महिलाएं तो आज अपने स्वयं के घर में भी पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं मानी जाती। लेकिन इस प्रक्रिया में हमारे माता-पिता एक काफी बड़ा योगदान दे सकतें हैं। आईये कुछ बातों को देखते हैं जो हर बेटी के माता-पिता को समझनी चाहिए।
समाज में लड़कियों की जिस तरह से कल्पना की जाती है उसमे मुख्य रूप से साहसी होना नहीं आता। लेकिन हर बेटी के माता-पिता को अपनी बेटी को साहसी, बहादुर और बोल्ड होने की प्रेरणा देनी चाहिए। अगर कुदरती ही उनकी बेटियां साहसी हैं, तो उन्हें हमेशा बढ़ावा देने की ज़रूरत है। हमने देखा है कि कुछ माता-पिता लड़कियों को दबाने की कोशिश करते हैं जो नहीं होना चाहिए।
वैसे आज-कल का दौर बदल रहा है, बेशक पूरी तरह से नहीं। एक उदाहरण से इसे समझने का प्रयास करते हैं। माता-पिता एक तरफ अपनी बेटियों को यदि विज्ञान के विषय लेने के लिए प्रेरित करते हैं, तो यह काफी गर्व की बात है। लेकिन अगर दूसरी ही तरफ वे अपनी बेटियों को उनकी बात रखने से या सवाल-जवाब करने से रोकते हैं, तो उस विज्ञान का पाठ करवाने का कोई मतलब नहीं है। क्यूंकि विज्ञान का मतलब ही चीज़ों पर सवाल उठाना है। आखिर जितनी खोजें हुई हैं, आविष्कार हुए हैं, वह सिर्फ अध्यन करने से और हवाओं में नहीं हुए हैं।
मेरे हिसाब से अगर एक हक़ है, जो दुनिया के हर नागरिक के पास होना चाहिए, वह है शिक्षा का अधिकार। शिक्षा और ज्ञान इस संसार को समझने का एक माध्यम हैं। यह दोनों चीज़ें आपको एक दूसरे विश्व की सैर करा देती हैं। और आप जिस दुनिया में रह रहें हैं, अगर आप उसी को ही नहीं समझ पाए, तो क्या आपका जीवन व्यर्थ जैसा नहीं है? माता-पिता को ख़ास तौर पर इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्यूंकि अपनी बेटियों की बुनिया शिक्षा का आधार वही तय करते हैं।
आज हमे अगर किसी की ज़रूरत है, तो वह है स्वतंत्र विचारधारा वाले लोगों की। क्यों न इसकी शुरुआत हम और हमारे माता-पिता साथ में करें। खुले विचार व्यक्त करने वाले लोग एक साहस को दर्शाते हैं। भले ही आप उनके विचारों से सहमत न हों, लेकिन आप उनके आत्म-विश्वास और बहादुरी की दात जरूर देंगे।
आज भी ऐसे कुछ लोग हैं जो बेटियों को वह प्यार नहीं दे पाते , जिसकी कल्पना वे अपने बेटों को देने की करते हैं। लेकिन बच्चे होने के नाते, चाहे बेटा हो या बेटी, सम्मान और स्नेह का अधिकार दोनों को बराबर है। माता-पिता को यह विभाजन जड़ से मिटा देना चाहिए और घर से निकलने वाली इस रेखा पर रोक लगा देनी चाहिए। क्यूंकि आपके बच्चों का लिंग आपका गौरव नहीं है।
साहसी होने का मतलब बागी होना नहीं है
समाज में लड़कियों की जिस तरह से कल्पना की जाती है उसमे मुख्य रूप से साहसी होना नहीं आता। लेकिन हर बेटी के माता-पिता को अपनी बेटी को साहसी, बहादुर और बोल्ड होने की प्रेरणा देनी चाहिए। अगर कुदरती ही उनकी बेटियां साहसी हैं, तो उन्हें हमेशा बढ़ावा देने की ज़रूरत है। हमने देखा है कि कुछ माता-पिता लड़कियों को दबाने की कोशिश करते हैं जो नहीं होना चाहिए।
सवाल करना गुनाह नहीं है
वैसे आज-कल का दौर बदल रहा है, बेशक पूरी तरह से नहीं। एक उदाहरण से इसे समझने का प्रयास करते हैं। माता-पिता एक तरफ अपनी बेटियों को यदि विज्ञान के विषय लेने के लिए प्रेरित करते हैं, तो यह काफी गर्व की बात है। लेकिन अगर दूसरी ही तरफ वे अपनी बेटियों को उनकी बात रखने से या सवाल-जवाब करने से रोकते हैं, तो उस विज्ञान का पाठ करवाने का कोई मतलब नहीं है। क्यूंकि विज्ञान का मतलब ही चीज़ों पर सवाल उठाना है। आखिर जितनी खोजें हुई हैं, आविष्कार हुए हैं, वह सिर्फ अध्यन करने से और हवाओं में नहीं हुए हैं।
शिक्षा और ज्ञान से एहम कुछ नहीं है
मेरे हिसाब से अगर एक हक़ है, जो दुनिया के हर नागरिक के पास होना चाहिए, वह है शिक्षा का अधिकार। शिक्षा और ज्ञान इस संसार को समझने का एक माध्यम हैं। यह दोनों चीज़ें आपको एक दूसरे विश्व की सैर करा देती हैं। और आप जिस दुनिया में रह रहें हैं, अगर आप उसी को ही नहीं समझ पाए, तो क्या आपका जीवन व्यर्थ जैसा नहीं है? माता-पिता को ख़ास तौर पर इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्यूंकि अपनी बेटियों की बुनिया शिक्षा का आधार वही तय करते हैं।
खुले विचार होना आवश्यक है
आज हमे अगर किसी की ज़रूरत है, तो वह है स्वतंत्र विचारधारा वाले लोगों की। क्यों न इसकी शुरुआत हम और हमारे माता-पिता साथ में करें। खुले विचार व्यक्त करने वाले लोग एक साहस को दर्शाते हैं। भले ही आप उनके विचारों से सहमत न हों, लेकिन आप उनके आत्म-विश्वास और बहादुरी की दात जरूर देंगे।
आपके बच्चों का लिंग आपका गौरव नहीं है
आज भी ऐसे कुछ लोग हैं जो बेटियों को वह प्यार नहीं दे पाते , जिसकी कल्पना वे अपने बेटों को देने की करते हैं। लेकिन बच्चे होने के नाते, चाहे बेटा हो या बेटी, सम्मान और स्नेह का अधिकार दोनों को बराबर है। माता-पिता को यह विभाजन जड़ से मिटा देना चाहिए और घर से निकलने वाली इस रेखा पर रोक लगा देनी चाहिए। क्यूंकि आपके बच्चों का लिंग आपका गौरव नहीं है।