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आसाम के ढिंग गांव के किसान के घर की सबसे छोटी बेटी, हिमा ने अपना बचपन खराब आर्थिक स्थितियों से जूझते हुए गुजारा. आज वह साल में ₹30-35 लाख प्रति ब्रांड और ₹60 लाख हर साल कमा रही है. इस साल उन्होंने 'फोर्ब्स इंडिया 30 अंडर 30' की सूची में अपनी जगह बनाई और साथ ही वह भारत से 'यूनाइटेड नेशन चिल्ड्रंस फंड' (UNICEF) की पहली यूथ एंबेस्डर भी बनी.
इस साल, अप्रैल में हुई 400m की रेस, एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप को हिमा अपनी पीठ के ऐठने से खत्म नहीं कर पाई, किंतु जुलाई में अपनी मेहनत से उन्होंने सारे हिसाब छुट्टा कर दिए.
अब उनकी नजर 200m तथा क्वार्टर-माईल इवेंट, वर्ल्ड चैंपियनशिप में अपनी जगह बनाने पर है. अभी उन्हें ओलंपिक्स,2020 में चुनौतीपूर्ण प्रतिस्पर्धी के रूप में देखा जा रहा है, और अपनी मेहनत और प्रतिभा से ओलंपिक्स,2016 में एलेना टॉमसन के 200m रेस में 21.78s के रिकॉर्ड को तोड़कर नया रिकॉर्ड बनाने की हम आशा करते हैं.
हालांकि हिमा अभी सिर्फ 19 वर्ष की है और उन्होंने एथलेटिक्स में आए केवल 2 साल ही हुए हैं, पर उनके अंतरराष्ट्रीय बनते रिकॉर्डज़ भारतीयों की उम्मीदें बढ़ाते जा रहे है. हिमा के दौड़ते करियर को उड़ान भरने के लिए टोक्यो ओलंपिक्स में अपनी जगह बनाने की आवश्यकता है. इस आवश्यकता से गोल्ड मेडल का रास्ता अपने अभ्यास के इंजन से कम समय में दौड़ खत्म करने से पूरा होगा. अगर वह यह गोल्ड मेडल हासिल कर लेती है तो भारत के इतिहास में अपना नाम और पहचान सुनहरे अक्षरों में सदा के लिए दर्ज कर लेंगी.
रह चुके ओलंपियन तथा एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, आदिले सुमरीवाला, शीदपीपल की टीम से बातचीत के दौरान हिमा दास की जीत से भारत के खेल क्षेत्र में आने वाले बदलावों के बारे में कहते हैं,"आग जलाने के लिए चिंगारी की जरूरत होती है और हिमा हमारे लिए वही चिंगारी है."हिमा की जीत से भारतीय महिला खिलाड़ियों पर पड़ते असर पर वह कहते हैं," हिमा जैसी और उनसे पहले आई महिला खिलाड़ियों ने हमेशा से ही अन्य महिलाओं की प्रेरणा का स्तोत्र बनी और मेरे अनुसार यह कोई सामाजिक दबाव नहीं है. भारत का हर बच्चा, खासतौर से आसाम से, हिमा जैसे बनना चाहता है."
हिमा के जज्बे और मेहनत को हम सलाम करते हैं और आने वाली कामयाबी के लिए शुभकामनाएं देते हैं.