Indian Mathematicians: आज यदि हम किसी व्यक्ति को मैथमेटिशियंस के बारे में बोलेंगे तो उसके दिमाग में सबसे पहले एक पुरुष का चित्र ही आएगा। पर कभी आपने सोचा है कि यह चित्र सिर्फ हमेशा पुरुष का ही क्यों? इसका सरल उत्तर है पुरुषों का महिलाओं से अधिक कंट्रीब्यूशन होना। आज हम जानेंगे 5 ऐसी महिलाओं के बारे में जिन्होंने ना केवल समाज के नजरिए को बदलना चाहा बल्कि असल में भारत के महान मैथमेटिशियंस में अपना नाम दर्ज करा, आइए जानते हैं इन मैथमेटिशियंस के बारे में इस ब्लॉग में।
5 फीमेल मैथमेटिशियंस जिन्होंने बदला समाज का नजरिया-
1.शकुंतला देवी (Shakuntala Devi)
यह उन चुनिंदा मैथमेटिशियंस में है जिनको ह्यूमन केलकुलेटर (human calculator) के नाम से भी जाना गया है। इनकी कैलकुलेशन स्पीड ना केवल लाजवाब है बल्कि बहुत ही एक्यूरेट भी है। शकुंतला देवी के जीवन पर आधारित हाल ही में एक मूवी भी बनी है जिसमें उनका किरदार विद्या बालन ने निभाया है। देवी ने अपनी अंकगणित प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए दुनिया भर के कई देशों की यात्रा की। वह 1950 में पूरे यूरोप के दौरे पर थीं और 1976 में न्यूयॉर्क शहर में थीं।
2. मंगला नारलीकर
मंगला नार्लीकर एक भारतीय गणितज्ञ हैं जिन्होंने Advanced Mathematics और Simple Arithmetic दोनों में कार्य किया है। गणित में अपनी डिग्री के बाद, उन्होंने शुरू में मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च(TIFR) में कार्य किया और बाद में बॉम्बे और पुणे विश्वविद्यालय में व्याख्याता के रूप में कार्य किया था।
3. रमन परिमाला
रमन परिमाला एक भारतीय मैथमेटिशियन हैं जो अलजेब्रा में योगदान के लिए जाने जाते हैं। वह एमोरी विश्वविद्यालय में गणित के कला और विज्ञान के प्रतिष्ठित प्रोफेसर हैं। कई सालों तक, वह टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई में प्रोफेसर थीं।
4. टी ए सरस्वती अम्मा
टी ए सरस्वती अम्मा भारत के केरल राज्य में जन्मी गणितज्ञ थीं। उन्होने भारत के प्राचीन एवं मध्यकालीन ज्यामिति पर विशेष कार्य किया। टेक्कथाअमायन्कोथकलाम सरस्वती अम्मा ने मद्रास विश्वविद्यालय में वीराघवन के साथ काम किया और फिर रांची और धनबाद में शिक्षण किया।
5. सुजाता रामदोरई
सुजाता रामदोरई टीआईएफआर, मुंबई में गणित की प्राध्यापक है। वर्तमान में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, कनाडा के साथ जुडी हुए हैं। वह 2004 में प्रतिष्ठित आईसीटीपी रामानुजन पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय हैं। 2004 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के विजेता रही। वह गोनीत सोरा के सलाहकार बोर्ड में भी हैं।