महिलाओं में घर-परिवार के साथ साथ देशों को चलाने के विभिन्न गुण पाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पुरुषों की तुलना में स्त्री किसी भी परिस्थितियों को सामना सरलता से कर सकती हैं। महिलाओं का शिक्षा प्राप्त करना बहुत आवश्यक है जब तक महिला शिक्षित नहीं होगी तब तक वह न महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार को रोक पाएगी और न ही वह महिलाओं के सम्मान के अधिकार के लिए लड़ पाएंगी।
पहले के समय में लोगों का मानना था कि बेटियां सिर्फ घर के कामकाज के लिए होती न कि देश और समाज के कामकाज के लिए। धीरे- धीरे समय बीतता गया और लोगों की सोच में कुछ परिवर्तन आया।
1.आत्मनिर्भरता
महिला शिक्षा हम सुनते आ रहे हैं कि पहले के समय में महिलाओं को शिक्षित होना आवश्यक नहीं समझा जाता था। उनका मानना था कि महिला घर गृहस्थी ही संभाल सकती है। लेकिन मेरा मानना यह है कि अगर महिला शिक्षित नहीं है तो न तो वह घर-गृहस्थी ढंग से सभांल सकती है और न ही आत्मनिर्भर हो सकती है। एक अशिक्षित महिला के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है घर को सही ढंग से चला पाना।
घर में जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो मां ही सर्वप्रथम उसको बोलना सिखाती है और यही उसकी म्रात भाषा होती है। बच्चों में संस्कारों को सृजित करने को लिए मां को शिक्षित होना आवश्यक है। महिलाओ के शिक्षित होने से समाज में फैली बुराईयों जैसे- दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण, हत्या कार्यस्थल में उत्पीड़न आदि को दूर किया जा सकता हैं।
2. महिलाओं में आत्मविश्वास का विकास
आज भी हमारे समाज में अधिकांश महिलाएं शिक्षा के अभाव के कारण समाज में नहीं बोल सकती हैं। जब महिलाएं शिक्षित होंगी तो समाज में व्याप्त कुरितियों के खिलाफ बोलने का आत्मविश्वास विकसित होगा। लोग ऐसे हैं जो बेटियों को उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं करवाना चाहते। उनका मानना है कि शिक्षा ग्रहण करने के बाद घर का ही कामकाज ही तो करना है, लेकिन ऐसी धारणा बेटियो के लिए रखना बहुत ही ग़लत है।
वर्तमान समय की बात करें तो पुरुष से ज्यादा स्त्री आगे बढ़ रही है। चाहे आप किसी भी फील्ड में देख ले हर फील्ड में स्त्री आगे है। वर्तमान समय में यह सर्वमान्य है जितना पुरुष शिक्षित होना चाहिए उतना ही स्त्री भी। अर्थात यह सिद्ध सत्य है " यदि माता शिक्षित नहीं है तो देश की सन्तानों का कल्याण नहीं हो सकता। मां ही सर्वप्रथम गुरू है तो मां का शिक्षित होना आवश्यक है।
3. प्रशासन एवं शासन में अपनी सहभागिता
अगर महिलाएं शिक्षित होंगी तो वह शासन-प्रशासन दोनों में अपनी वास्तविक सहभागिता को सुनिश्चित करेंगी और वह कठपुतली शासक बनकर नहीं रह जायेंगी। अगर वह शिक्षित होंगी तो वह भारतीय लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली परिक्षाओं को पास करके किसी भी जिले में उच्च सरकारी पदों पर चयनित होकर महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए काम कर सकती हैं। अधिकतर गांवों में गांव की सरपंच पंचायती राज एक्ट में वर्णित 1/3 महिला आरक्षण के कारण महिलाएं कठपुतली सरपंच तो बन जाती है। लेकिन वास्तविक शासन उनके पति, बेटे या परिवार के किसी और सदस्य के पास होता है अगर वे शिक्षित होती तो अपना शासन खुद भी चला सकती हैं।
4. सम्मान की प्राप्ति
भारतीय संस्कृतीय का मानना है कि जहां स्त्रीयों को पूजा होती है, वहीं देवता निवास करते हैं। लेकिन आज भी समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जो महिलाओं को उपभोग की एक वस्तु मानते हैं। ऐसी ही घिनौनी सोच वाले व्यक्ति ही महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुचाते है। महिलाएं आज के समय मे भी वो खुद को स्वतंत्र नहीं मानती और घर- परिवार को लेकर चलने की वजह से ही वह अत्याचार और अपमान सहती रहती है।
कहीं न कहीं हम सब आगे बढ़ रहे हैं लेकिन आज भी समाज में कुछ लोग ऐसे हैं जिनके विचारों में आज भी कोई बदलाव नहीं आया। कुछ लोग आज भी महिलाओं के साथ अत्याचार करते हैं और उनके सम्मान को ठेस पहुचाते है । आज भी देश में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार, जुर्म, रेप नहीं रूक रहे हैं।
विधान में स्त्री व पुरुष दोनों को समान अधिकार दिए गए हैं। लेकिन कुछ महिलाएं कानून के सामने नहीं आती और जुर्म सहती रहती है, जो एक दिन बढ़ी वारदात रुप ले लेती है। महिलाओ को अपने हित के लिए खुद ही लड़ना होगा और खुद ही एक-दूसरे को जागरूक करना होगा। अर्थात तभी महिलाओं को सम्मान का अधिकार पूर्ण रूप से प्राप्त होगा।
5. वैश्वीकरण की भावना का विकास
शिक्षा के द्वारा महिलाओं में वैश्वीकरण की भावना का विकास होगा और वह दुनिया के बारे में और भी जानकारी रख पाएंगे अगर वह शिक्षित होंगी तो न्यूज़पेपर चैनल और यूट्यूब या अन्य इंटरनेट के साधनों से वह देश दुनिया मैं महिलाओं के उत्थान के लिए होने वाले सभा और अन्य साधनों के बारे में परिचित हो पाएंगे उदाहरण के लिए यदि अमेरिका या यूरोप के किसी देश में महिलाओं के लिए कोई अच्छा कानून आता है तो इसकी मांग वह हमारे देश में भी कर सकती हैं।
निष्कर्ष-
सवाल उठता है कि क्या करना होगा। सरकार को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के साथ यह भी सन्देश देना चाहिए बेटो को समझाओ। जब तक हम महिलाओं की शिक्षा पर जोर नहीं देते तब तक हमारे लिए संभव नहीं है देश में फैली बुराईयों को खत्म कर पाना। इसके लिए जरूरी है विद्यालयो की संख्या में बढ़ोतरी हो । प्रत्येक गांव में 12 तक विद्यालय व विश्वविद्यालय हो। जो संसाधनों से भरपूर हो।