/hindi/media/post_banners/lT8nns2VdDbMX4EuFNWG.jpg)
भारत में आए दिन हमें सुनने को मिलता है कि शादीशुदा महिलाओं के साथ किसी ने किसी प्रकार का हिंसा हो रहा है, दहेज़ के कारण न जाने कितने मौत और डोमेस्टिक वायलेंस के केस हमारे सामने आते हैं।
ऐसे अन्याय से लड़ने के लिए हर महिला को लीगल राइट्स के बारे में पता होना चाहिए। इसलिए आज के इस ब्लॉक में हम आपको पांच ऐसे अधिकार बताएंगे जो आपको पता होना बहुत जरूरी है।
1. राईट टू रिसाइड इन मैरिटल होम
हिन्दू एडॉप्शन और मेंटेनेंस एक्ट,1956, पत्नियों को उनके मैरिटल होम में रहने का बेसिक अधिकार देता है। मैरिटल होम का मतलब वो घर जिनमें एक महिला अपने पति के साथ रहती है चाहे वो घर रेंटेड हो, पति का हो या उसके पेरेंट्स का घर हो या फ़िर उसकी ऑफिशियली प्रॉपर्टी हो, उस महिला को उस घर में रहने का अधिकार है।
2. राईट टू स्त्रीधन
हिन्दू सक्सेशन लॉ के अनुसार, स्त्रीधन बेटी को अपने पैरेंट्स से पहले या शादी के दौरान और बच्चे के जन्म के दौरान मिलने वाले गिफ्ट्स होते हैं। अगर उसके इन लॉस की फैमिली या हसबैंड उसका ये अधिकार छीनते हैं तो उनके ऊपर कारवाही हो सकती है।
3. राईट टू मेंटेनेंस बाय हसबैंड
एक पत्नी को अपने पति से डिसेंट लिविंग स्टैंडर्ड और बेसिक कंफर्ट क्लेम करने का अधिकार है। हालांकि यह लाभ पति के लिविंग स्टैंडर्ड, उसकी इनकम और प्रॉपर्टी की उपर डिपेंड करता। संबंध खराब होने की स्थिति में उससे अपनी पत्नी और बच्चे को बेसिक मेंटेनेंस फैसिलिटीज देनी होंगी। बेसिक सुविधाओं में कपड़ा, खाना, रहने के लिए जगह, एजुकेशन, मेडिकल ट्रीटमेंट आदि आता है।
4. राईट टू कमिटेड रिलेशनशिप
अगर किसी हसबैंड का, किसी और लेडी के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर है तो पत्नी उसपे एडल्टरी का चार्ज लगा सकती है। भारत में एडल्टरी भी हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के सेक्शन 13 के अंदर डाइवोर्स फाइल करने का एक रीजन हो सकता है।
5. राईट टू लिव विथ डिग्निटी एंड रिस्पेक्ट
एक पत्नी को अपने ससुराल वालों के साथ पुरे रिस्पेक्ट के साथ जीने का कनूनी अधिकार है। उसे, उसी लाइफस्टाइल का अधिकार है जो उसके पति और उसके ससुराल वालों के पास है। उसको किसी भी शारीरिक और मानसिक टॉर्चर के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार है।