Struggles Of Indian Mother's: भारत में माँ होने का मतलब क्या है? क्या यह सिर्फ एक बच्चा पैदा करना या उसका ख्याल रखना है? या यह एक सोशल, कल्चरल और पॉलिटिकल रोल है, जिसमें औरतों को बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है? भारतीय माताओं के संघर्षों को समझने के लिए, हमें उनके एनवायरनमेंट, वैल्यूज, ड्रीम्स और ऑपर्चुनिटीज को देखना होगा। भारत में माताओं को सोसाइटी में एक हाई स्टेटस और रिस्पेक्ट मिलता है, लेकिन यह रिस्पेक्ट कई बार उनकी फ्रीडम, एजुकेशन, जॉब और हेल्थ को नुकसान पहुंचाता है। भारतीय माताओं के सामने कुछ ऐसी कॉमन प्रॉब्लम्स हैं, जो उनके लाइफ को हार्ड बनाती हैं।
क्या है भारतीय माओं की लाइफ का सबसे बड़ा स्ट्रगल
1. सिंगल माँ
भारत में सिंगल माताओं की नंबर बढ़ रही है, जो डिवोर्स, विधवा, इलीगल रिलेशन या अपनी मर्ज़ी से अपने बच्चों को पालने के लिए अपने पति से अलग रहती हैं। सिंगल माताओं को पैसों, सोसाइटी और माइंड के टेंशन का सामना करना पड़ता है, जबकि लोग उन्हें गलत तरीके से जज करते हैं।
2. वर्क-होम का बैलेंस
भारत में वर्क करने वाली माताओं को अपने काम और घर के बीच का बैलेंस रखना बहुत ही टफ है। उन्हें अपने प्रोफेशनल गोल्स को पूरा करने के साथ-साथ अपने परिवार की जिम्मेदारियों को भी निभाना होता है। उन्हें अक्सर अपने काम और बच्चों के लिए गिल्टी फील होता है, जबकि उनके पति या सास-ससुर उनकी मदद नहीं करते हैं।
3. डोमेस्टिक वायलेंस
भारत में बहुत सारी माताएं अपने पति या ससुराल वालों के हाथों डोमेस्टिक वायलेंस का शिकार होती हैं। उन्हें मार-पीट, गाली-गलौज, दहेज की मांग, बाल विवाह, नारी हत्या जैसे अत्याचारों का सामना करना पड़ता है। उनके पास अपनी सुरक्षा या इंसाफ के लिए कोई सहारा नहीं होता है, क्योंकि समाज उन्हें बेइज्जत करता है या उनकी आवाज को दबाता है।
इन सब समस्याओं के बावजूद, भारतीय माताएं अपने बच्चों के लिए सब कुछ करती हैं। वे उन्हें प्यार, संस्कार, शिक्षा और आत्मविश्वास देती हैं। वे उन्हें अपने सपने पूरे करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। वे उनके साथ हर मुश्किल में खड़ी होती हैं और वे उन्हें अच्छा इंसान बनाने के लिए भी स्ट्रगल करती हैं। भारतीय माताएं अपने संघर्षों के बावजूद अपने बच्चों के लिए एक मिसाल हैं। वे उनके लिए एक दोस्त, एक गाइड, एक टीचर और एक इंस्पिरेशन हैं।