बेटा शादी कब करोगी? कोई लड़का पसंद है क्या? इतनी बड़ी हो गयी अब तो शादी हो जानी चाहिए? जैसे तमाम सवालों से अगर आप भी परेशान हैं तो अब समय आगया है उन सभी बातों का मुहतोड़ जवाब देने का।
क्या है समाज की सोच?
समाज के अनुसार, महिलाओं के लिए एक विवाह की एक योग्य उम्र होती है और उस उम्र को पार करने वाली किसी भी महिला को समाज चैन से जीने नहीं देता। वह अचानक एक डिमांड वाली दुल्हन से अपने परिवार पर बोझ में बदल जाती है। कई देसी आंटियों ने तो अपने लाइफ का लक्ष्य ही यह बना लिया है कि वह घूम घूम के लड़कियों और उनके परिवार को ताना मारें।
शादी है पर्सनल चॉइस
यह बात समझनी होगी कि शादी कोई गुड्डे-गुड़िया का खेल नहीं है। यह पूरी तरह से पर्सनल चॉइस पर डिपेंड करता है कि कौन कब शादी करना चाहता है। कुछ महिलाएं शादी करना चाहती हैं तो कुछ ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहतीं। साथ ही, किस उम्र में शादी करनी है यह भी एक निजी पसंद है। यह बात आंटी को बताना जरुरी है कि "आंटी मैं 20 की रहूं या 30 की, शादी तो मैं अपनी चॉइस से ही करुँगी। "
शादी की कोई उम्र नहीं होती
असल में शादी के लिए कोई उम्र निर्धारित नहीं हुई है, यह तो समाज के कुछ लोगों ने ऐसा नियम बना दिया है कि लड़की के 20 पार करते ही उसकी शादी की चर्चा शुरू हो जाती हैं। जैसे ही एक महिला शादी की कानूनी उम्र पार करती है, समाज सोचता है कि अब उसे शादी कर लेनी चाहिए। महिलाओं को यह बताना बंद करें कि शादी करने की एक सही उम्र होती है और अगर वे उस उम्र को पार कर जाती हैं, तो वे शादी करने के लायक नहीं हैं।
सेटल होने का मतलब शादी नहीं
हमेशा घर बसाना और परिवार शुरू करने का मतलब यह नहीं होता कि अब आप सेटल हो चुकी हैं। हर लड़की और महिला के लिए सेटल होने के मायने अलग होते हैं। कई दफा एक बेटर जॉब और घर खरीदना भी किसी के लिए अपनी लाइफ को सेटल करने का लक्ष्य हो सकता है। क्या होगा अगर हमारे लिए घर बसाने का मतलब है एक स्थिर करियर बनाना? क्या होगा अगर घर बसाने का मतलब शादी और बच्चे पैदा करना नहीं है?
शादी के ऊपर अपना करियर चुनने का मतलब यह नहीं है कि हम इसे बिल्कुल भी नहीं करना चाहते हैं। लेकिन, हम सभी के जीवन की अलग अलग प्रायॉरिटीज़ होती हैं। हम पहले अपने करियर को व्यवस्थित करना चाहते हैं और हमारे भविष्य के लिए अलग-अलग लक्ष्य हैं। हम पहले आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहते हैं और फिर कुछ और सोचते हैं।
शादी के लिए दबाव बनाना गलत
महिलाओं पर शादी के लिए दबाव बनाने से रोकने की जरूरत है। समाज की महिलाओं को यह समझने की जरुरत है कि महिलाएं शादी जैसे जीवन बदलने वाले फैसले के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना चाहती हैं। केवल समाज का सोच कर इतना बड़ा फैसला लेना गलत है। ये समझना होगा कि पड़ोसी की बेटी की शादी की चिंता आंटी को नहीं करनी है बल्कि अपने घर पर उनका ध्यान होना जुडा जरुरी है।