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Photograph: (Unsplash)
6 Movements In India That Were Led By Women: भारत की आजादी दिलाने में महिलाओं का योगदान अहम है पर क्या आपको पता है भारत में आजादी के बाद भी कई ऐसे आंदोलन हुए है जिसका नेतृत्व महिलाओं ने किया है या जिसमें महिलाओं की भूमिका अहम रही है। भारत जैसे देश जहां पितृसत्तात्मक व्यवस्था है वहां महिलाओं का आगे आना नारीवाद की विचारधारा को बढ़ावा देता है। आज जहां लोग फेमिनिज्म को अलग नजरिए से देखते है वहां ये आंदोलन इसकी असली परिभाषा देते है। भारत में महिलाओं ने सामाजिक–राजनीतिक समस्याओं से लेकर पर्यावरण को बचाने, लैंगिक समानता जैसी समस्याओं के लिए कई आंदोलन किए है। इस आर्टिकल में आपको बताएंगे ऐसे ही कुछ भारतीय महिला आंदोलन के बारे में।
भारत में हुए 6 आंदोलन जिसका नेतृत्व महिलाओं ने किया
1. चिपको आंदोलन
इस आंदोलन में महिलाओं की भूमिका अहम रही। इस आंदोलन में महिलाओं ने पेड़ों को बचाने के लिए जान तक की बाजी लगा दी। इस आंदोलन की शुरुआत गांव की महिलाओं ने की थी। रेनी गांव की गौरा देवी ने 27 अन्य महिलाओं के साथ इस आंदोलन का नेतृत्व किया था। आंदोलन में पेड़ों को काटने से बचने के लिए वे पेड़ से चिपक जाते थे।
2. शाहीन बाग़ आंदोलन
ये विरोध प्रदर्शन नागरिकता अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ़ चल रहा एक प्रदर्शन था। इसका नेतृत्व ज़्यादातर महिलाएँ कर रही थीं। यह आंदोलन 'नेताविहीन' था और अक्सर इसे आधुनिक सत्याग्रह के रूप में जाना जाता है।
3. अरक विरोधी आंदोलन
जब यह आंदोलन आंध्र प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं द्वारा चलाया गया आंदोलन था जो शराब माफियाओं और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा था। बाद में ये पूर्ण महिला आंदोलन में बदल गया। इस आंदोलन में स्थानीय महिलाएं एकजुट हुईं और शराब की दुकानों को बंद करने के लिए मजबूर किया।
4. नर्मदा बचाओ आंदोलन
महिलाएं नर्मदा बचाओ आंदोलन का मुख्य आधार रही है। ये भारत के सबसे बड़े जनआंदोलनों में से एक है। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर ने इस नेतृत्व आंदोलन का किया। महिलाएं ने इस आंदोलन में कई महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियां उठाई हैं, जिनमें लोगों को आंदोलन से जोड़ना, रैलियों का सामने से नेतृत्व करना, सरकार के से बातचीत करना, अनशन करना, जलसंपर्ण जैसे आंदोलन के कार्यकर्मों के लिए गठित समर्पित दाल का हिस्सा बनना आदि शामिल है। इस आंदोलन में उन्होंने नर्मदा नदी के किनारे धरना प्रदर्शन किया और सरकार से उचित पुनर्वास और मुआवजे की मांग की।
5. गुलाबी गैंग आंदोलन
इस आंदोलन की शुरुआत उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में हुई थी। इसका मकसद महिलाओं को घरेलू हिंसा, यौन हिंसा, और उत्पीड़न से बचाना था। इसकी संस्थापक संपत पाल देवी हैं। एक छोटी सी घरेलू हिंसा से शुरू हुए इस विरोध ने आज तक कई महिलाओं को इससे बचाया है। इन्हें गुलाबी गैंग के नाम से जाना जाता है क्योंकि इसमें आंदोलकारी गुलाबी साड़ी पहनते है और बांस की छड़ी पड़कते थे।
6. मी–टू आंदोलन
यह आंदोलन यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ एक वैश्विक आंदोलन है। भारत में भी इस आंदोलन से महिलाओं ने काफी धूम मचाया। इस आंदोलन के ज़रिए महिलाओं ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न का खुलासा किया। इस आंदोलन में महिलाएं बहादुरी से आगे आई और महिला सशक्तिकरण का एक उदाहरण प्रस्तुत किया।