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Navratri 2023 : स्त्रियों के जीवन में परछाई है मां दुर्गा के नौ स्वरूप

नवरात्रि के समय मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है 9 स्वरूपों की अलग-अलग मान्यता एवं गुण है और यह सभी गुण महिलाओं के जीवनचक्र में हमे देखने मिल जाते है नारी के जीवन चक्र में परछाई है मां दुर्गा के नौ स्वरूप। अधिक इस ब्लॉग में

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STP HINDI TEAM
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Chaitra Navratri special

File Photo

Shardiya Navratri 2023: महिला अपने जीवन में हर स्थिति को पार करती जाती है हर रिश्ता ईमानदारी से जिम्मेदारी से निभाती है और कई कठिन पड़ाव में अपने आप को साबित करती है जैसे मां दुर्गा के नौ स्वरूप और 9 गुण हैं वैसे ही महिलाएं हर स्थिति में अपने अलग-अलग गुणों का परिचय देती जाती हैं।

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स्त्रियों के जीवन चक्र में है परछाई मां दुर्गा के 9 स्वरूप

1.शैलपुत्री 

पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री नवदुर्गा का पहला रूप है । हर महिला अपने पिता के घर मैं सभी गुण दिखती है एवं अपनी प्रमुख आदतों को समझती है उसमें कई गुण अपने पिता से माता से आते हैं निश्चित ही किसी भी स्त्री का पहला परिचय उसके पिता से ही होता है 

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2. ब्रह्मचारिणी

ब्रह्मचारिणी अर्थात मां दुर्गा का वह रूप जिसने शिवजी को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या मार्ग चुना एवं सब कुछ त्याग दिया इसी तरह महिलाएं भी स्वयं को काबिल बनाती हैं एवं अपने पिता का घर छोड़कर अपने पति के घर जाती हैं। नए गुणों का विकास करती हैं वह ब्रह्मचारिणी के परिचय देती हैं।

3. चंद्रघंटा

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माता दुर्गा का वह रूप जिस पर उनके मस्तक पर चंद्र के आकार का तिलक है और वह यह दर्शाता है कि शिव जी जो अपने सर पर चंद्र धारण करते हैं उन्हीं के समान माता भी इस रूप को धारण करती हैं महिलाएं अपने पति से कम से कदम मिलाकर  ही काबिल बनती हैं तो वह चंद्रघंटा माता के स्वरूप का परिचय देती है।

4. कूष्मांडा 

दुर्गा माता का वह स्वरूप जिसमें ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति है उसे कुष्मांडा कहा जाता है महिलाएं जब अपने शिशु को जन्म देती हैं वह उसे शक्ति को दर्शाती हैं विश्व  की प्रत्येक महिला जन्मदात्री है।

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5. स्कंदमाता 

माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है और हर मां अपने पुत्र के नाम से जानी जाती हैं मा ही है जिसने पुत्र को जन्म दिया एवं संस्कार दिए महिलाएं भी अपनी संतानों का भविष्य निर्माण करती हैं इसलिए वह अपने पुत्र के नाम से जानी जाती हैं जैसे स्कंदमाता ।

6. कात्यायनी 

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अग्नि में भस्म होने के बाद महर्षि कात्यायनी की तपस्या से प्रसन्न होकर कात्यायनी माता ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था हर महिला के जीवन में ऐसे संघर्ष और कष्ट आते हैं जब उसका जीवन कठिनता से गुजरता है और उसे कठिनता से उभरने के बाद उसका नया जन्म होता है खासकर जब वह विवाहित हो जाती है तो वह बच्चों को जन्म देकर मां बन जाती है यह उसका दूसरा ही जन्म होता है।

7. कालरात्रि

मां पार्वती हर प्रकार के संकट का नाश करती है और कालरात्रि कहलाती है प्रत्येक महिला संघर्षों और संकटों से गुजर कर अपने परिवार की रक्षा करती है उनका पालन पोषण कर हर प्रकार की जिम्मेदारियां निभाती है महिला में ही वह शक्ति है जो अपने पति पुत्र परिवार को अपनी इच्छा से सुरक्षित रखती है और अपनी संतान को सही मार्ग दिखाकर उसे सफल बनाती है।

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8. महागौरी

कठोर तपस्या करने के बाद जब मां गौरी का वर्णन काला पड़ गया तब शिव ने प्रसन्न होकर उनके शरीर को गंगा जी के जल से गोरा गौर वर्ण का कर दिया इसी प्रकार जब महिलाएं कठोर तपस्या उपवास व्रत धर्म आदि के कार्य करती हैं और उनके सफल हो जाने के बाद वह प्रसन्न होती हैं एवं सभी दुखों को भूल जाती हैं तो वह महागौरी कहलाती हैं।

9. सिद्धिदात्री 

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जो भक्त माता के लिए पूर्ण रूप से समर्पित रहता है सभी कार्य धर्म के अनुसार करता है उसे वह हर प्रकार की सिद्धि दे देती हैं इसलिए वह सिद्धिदात्री कहलाई जाती हैं इसी प्रकार घर परिवार के सदस्य अपने घर की माता का आशीर्वाद लेते हैं अपने घर की महिलाओं की बातें सुनते हैं एवं उनका सम्मान करते हैं।

Navratri Shardiya Navratri 2023
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