Real Feminism: जानें असली फेमिनिज्म क्या है और ये कितना ज़रूरी है

आजकल लोग भूल गए हैं असली फेमिनिज्म का मतलब। असली फेमिनिज्म का मतलब है सबको समान रूप से अधिकार देना, किसी भी रूप से भेदभाव नहीं करना, न ही किसी का शोषण करना।

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Anjali Mishra
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Real Feminism

Real Feminism Photograph: (Freepik)

Know what is real Feminism and why it’s important: फेमिनिज्म या नारीवाद, केवल महिलाओं के अधिकारों की बात नहीं करता, बल्कि यह एक ऐसी आइडियोलॉजी और सामाजिक आंदोलन है जो जेंडर इक्वालिटी की वकालत करता है। असली फेमिनिज्म उस सोच का नाम है जो यह मानता है कि महिला और पुरुष दोनों को बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए, चाहे वो एजुकेशन हो, नौकरी हो, सैलरी हो या समाज में सम्मान का लेवल। यह किसी एक जेंडर को ऊँचा उठाने की और बाकियों को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करता, बल्कि सभी जेंडर के लिए एक इक्वल समाज बनाने की दिशा में काम करता है। यह ज़रूरी इसलिए है क्योंकि एक समान समाज में ही सभी लोग अपनी पूरी क्षमता के साथ जीवन जी सकते हैं। तो चलिए और जानते हैं असली फेमिनिज्म के बारे में और वो क्यों ज़रूरी है। 

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जानें असली फेमिनिज्म क्या है और ये कितना ज़रूरी है

1. जेंडर इक्वालिटी

फेमिनिज्म का सीधा सा मतलब थी होता है कि किसी भी जेंडर के लोगों को इक्वल या समान रूप से अधिकार मिलना चाहिए और अवसर भी मिलने चाहिए। जेंडर के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। चाहे वो एजुकेशन हो, काम करने की जगह हो या सैलरी हो काबिलियत को नजर में रखके अवसर मिलना चाहिए न कि जेंडर के आधार पर।

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2. महिलाओं के अधिकार

 मैरी की किताब का उद्देश्य बस इतना था कि महिलाओं को उनके अधिकार मिले, सम्मान मिले और वो स्थान मिले जो वो जिसकी वो काबिलियत रखती हैं क्योंकि पहले पुरुष प्रधान समाज में महिलाओ को सिर्फ घर तक ही सीमित रखा जाता था।

3. देश का विकास

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अगर किसी से भी भेदभाव न किया जाए किसी भी आधार पर तो ये किसी भी देश के लिए अच्छा ही होगा। सबको एक जैसी अवसर मिलेंगे, कोई छोटा कोई बड़ा नहीं होगा, सब एक दूसरे की आगे बढ़ने में मदद करेंगे।

4. पॉजिटिविटी फैलाना

पॉजिटिविटी दो तरीके से आती है। पहला की हम अपने दिमाग को पॉजिटिवी बनाए और अच्छा सोचे, सकारात्मक सोचें ताकि हमारे शरीर पर इसका अच्छा असर हो। इसके अलावा दूसरा की हम खुद को ऐसे लोगों के बीच रखें जो सकारात्मक सोचते हों, कहते हों जैसे कि फेमिनिस्ट लोग जो समानता में मानते हों, सबको अधिकार दिलाने में मानते हों।

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5. स्टीरियोटाइप से मुक्ति

अगर हमारे समाज में और रियल फेमिनिस्ट लोग बढ़ेंगे तो हमारे समाज में चली आ रहीं पुरानी रूढ़िवादी बातें भी खत्म होने लगेंगी जिनका कोई आधार नहीं है और जो समाज में अशांति और असमानता का संदेश देती हैं। इन्हीं स्टीरियोटाइप की वजह से महिलाओं के अधिकारों का हनन होता आया है और अब जब महिलाएं खुद को साबित कर रही हैं तो उन्हें गलत बोला जा रहा है।

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