Kamada Ekadashi 2025: आज है यह एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Kamada Ekadashi 2025 का व्रत 8 अप्रैल को रखा जाएगा। जानिए इसकी तिथि, पौराणिक महत्व, पूजा विधि और व्रत पारण का समय। यह एकादशी कैसे करता है आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति।

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Vaishali Garg
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Devuthani Ekadashi(Freepik)

Kamada Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को 'कामदा एकादशी' कहा जाता है। यह तिथि हर वर्ष भगवान विष्णु के भक्तों के लिए बेहद खास मानी जाती है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन व्रत और भक्ति से भगवान विष्णु जल्दी प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

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कामदा एकादशी 2025 कब है?

वर्ष 2025 में यह एकादशी 8 अप्रैल, मंगलवार को पड़ रही है। एकादशी व्रत की शुरुआत 7 अप्रैल की रात 8 बजे से हो जाएगी और इसका समापन 8 अप्रैल की रात 9:12 बजे तक रहेगा। व्रत पारण का शुभ समय 9 अप्रैल को सुबह 6:02 से 8:34 तक रहेगा।

इस व्रत का धार्मिक और पौराणिक महत्व

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कामदा एकादशी का अर्थ है "कामनाओं को पूर्ण करने वाली एकादशी"। पौराणिक कथाओं में इस व्रत की महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है। मान्यता है कि त्रेतायुग में गंधर्व ललित और उसकी पत्नी ललिता को इस व्रत के प्रभाव से श्रापमुक्ति मिली थी। ललित एक गंधर्व था जिसे एक श्राप के कारण राक्षस योनि में जन्म लेना पड़ा था, लेकिन उसकी पत्नी ने कामदा एकादशी का व्रत रखकर उसे उस योनि से मुक्ति दिलाई। यही कारण है कि यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है जो किसी बड़ी मानसिक, पारिवारिक या आध्यात्मिक बाधा से गुजर रहे होते हैं।

क्यों कहा जाता है इसे ‘इच्छा पूर्ति’ वाली एकादशी?

इस दिन भक्तजन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। पूजा में विशेष रूप से पीले फूल, तुलसी के पत्ते, चंदन और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। दिनभर उपवास रखा जाता है और मन, वचन और कर्म से पूर्ण संयम बरता जाता है। रात्रि में विष्णु सहस्रनाम, गीता पाठ या 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप कर भगवान की आराधना की जाती है। अगले दिन द्वादशी के समय व्रत का पारण किया जाता है और ब्राह्मणों या ज़रूरतमंदों को भोजन और दान देकर व्रत की पूर्णता की जाती है।

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कामदा एकादशी व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी शांति और संतुलन प्रदान करता है। यह व्रत भक्तों को अपने भीतर झांकने, अनुशासन और ईश्वर के प्रति समर्पण का भाव जगाने का अवसर देता है। जो भी श्रद्धापूर्वक इस दिन भगवान विष्णु का स्मरण करता है और व्रत का पालन करता है, उसे निश्चित ही पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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