Mahavir Jayanti 2025: 10 अप्रैल को है महावीर जयंती, जानिए भगवान महावीर से जुड़ी कुछ बातें

महावीर जयंती भगवान महावीर स्वामी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो सत्य, अहिंसा और संयम के प्रतीक हैं। यह पर्व मानवीय मूल्यों की पुनर्स्थापना और आत्मिक शांति का संदेश देता है।

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Priya Singh
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Mahavir Jayanti 2025

Photograph: (Freepik AI)

Mahavir Jayanti 2025: महावीर जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों की पुनर्स्थापना का दिन है। यह पर्व जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। महावीर स्वामी का जीवन सत्य, अहिंसा और संयम की प्रेरणा देता है। 2025 में यह पर्व 10 अप्रैल को मनाया जाएगा, जब देशभर में विशेष पूजा, शोभायात्राएं और सेवा कार्यों का आयोजन किया जाएगा।

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10 अप्रैल को है महावीर जयंती, जानिए भगवान महावीर से जुड़ी कुछ बातें

भगवान महावीर का जन्म बिहार के कुंडलपुर में 599 ईसा पूर्व में हुआ था। उनके पिता राजा सिद्धार्थ प्रतापी शासक थे, जबकि माता राजकुमारी थीं। बचपन से ही वे अत्यंत संवेदनशील, तपस्वी प्रवृत्ति के और सत्य की खोज में रुचि रखने वाले थे।

30 वर्ष की उम्र में उन्होंने राजपाठ, परिवार और ऐश्वर्य को त्यागकर संन्यास ले लिया। इसके बाद 12 वर्षों तक कठोर तप और साधना की। अंततः उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति हुई और वे ‘जिन’ कहलाए, अर्थात जिसने अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली हो। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन जनकल्याण और धर्म प्रचार में समर्पित किया।

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महावीर जयंती का धार्मिक और सामाजिक महत्व

महावीर जयंती जैन समाज के लिए ही नहीं, सम्पूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्रोत है। इस दिन देशभर के जैन मंदिरों में भगवान महावीर की प्रतिमाओं का अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा-अर्चना, शोभायात्राएं, धर्मोपदेश और कलश यात्राएं आयोजित होती हैं। साथ ही, कई स्थानों पर सेवा कार्यों जैसे निःशुल्क चिकित्सा शिविर, अन्नदान, वस्त्र वितरण और आध्यात्मिक पुस्तकों का वितरण भी किया जाता है। यह दिन सत्य, करुणा और संयम को जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है।

भगवान महावीर के जीवन के पांच मूल सूत्र

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भगवान महावीर ने जीवन को सच्चे अर्थों में सफल बनाने के लिए पाँच प्रमुख व्रत बताए, जो आज भी मार्गदर्शक हैं-

अहिंसा:  किसी भी प्राणी को मन, वचन और कर्म से कष्ट न पहुँचाना।

सत्य: सत्य बोलना आत्मा की शुद्धि और समाज की शांति के लिए अनिवार्य है।

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अस्तेय: बिना अनुमति किसी वस्तु का प्रयोग या चोरी करना पाप है।

ब्रह्मचर्य: इंद्रियों पर नियंत्रण और संयमित जीवन आत्मा की उन्नति के लिए आवश्यक है।

अपरिग्रह: कम से कम संग्रह और मोह का त्याग सच्चे वैराग्य की ओर ले जाता है।

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भगवान महावीर का जीवन और उनके सिद्धांत आज भी मानवता को एक शांतिपूर्ण और संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। महावीर जयंती हमें यह सिखाती है कि बिना हिंसा, छल और मोह के भी एक सुंदर और सार्थक जीवन संभव है।