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Photograph: (Pinterest+ Dainik Bhaskar Hindi)
भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक संवाद में नृत्य की बहुत गहरी भूमिका होती हैं। और जब महिलाएं एक विशेष नृत्य को सीखती और अपनी सखियों के साथ करती हैं तो यह उन्हें उनकी साथी-सहेलियों के साथ सिर्फ जोड़ता ही नहीं, बल्कि उन्हे आत्मनिर्भर बनाता हैं। नृत्य आत्म- अभिव्यक्ति का माध्यम हैं और जब महिलाएं इसे लोक संगीत और विशेष धुन पर प्रस्तुत करती हैं तो यह उन्हें sisterhood के नया आयाम देता हैं बल्कि उन्हें अंदर से सशक्त भी करता हैं।
Symbol of sisterhood: गरबा में नारी आत्मनिर्भरता की झलक
1. नृत्य और साथ होने का ऐलान
जब महिलाएं अपनी सखी-सहेलियों के साथ नाचती हैं, और विशेषकर गरबा करते हुए, जब गोल चक्कर लगाया जाता है साथ ही आपस में आँखों में देखते हुए उत्साह के साथ सहयोग दिया जाता हैं, यह एक बिन कहा ऐलान है कि हाँ तुम स्वतंत्र हो स्वयं को प्रस्तुत करने के लिए और मैं तुम्हारे साथ हूँ। यह एक सखी का दूसरी सखी से बिन कहा वादा है जो उन्हे एकता के साथ और आत्म-विश्वास के साथ जीना सिखाता हैं।
2. घेरा नहीं घेरेदार समर्थन
गरबा जो गोल घूम कर किया जाता हैं, अक्सर भारतीय परंपरा में "नारी की एकता" से जोड़ा जाता हैं। यह एक भावनात्मक सुरक्षा की तरह काम करता हैं और साथ ही समुदाय को सशक्त भी करता हैं। यह सामाजिक जुड़ाव का भी कार्य करता हैं, यह बिना hierarchy और बिना competition का नृत्य हो स्वतंत्र और समर्थन देने का माध्यम बन जाता हैं।
3. नृत्य में एजेंसी की घोषणा
हर ताल, हर घेर और हर कदम नृत्य में संगीन महिला के लिए आत्मबल की घोषणा हैं। महिलाएं गरबे को भरपूर ऊर्जा के साथ करती हैं जो उन्हें कहीं पक्षों में सुदृढ़ बनाता हैं। हर कदम और ताल उन्हें संयम के साथ साथ गति की महत्वता का संदेश देती हैं।
4. पहनावे में आत्मबल की परतें
पारंपरिक चनिया-चोली, oxidize-ज्वेलरी , और माथे पर बिंदी- यह सिर्फ सौन्दर्य और सजावट नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आत्मविश्वास हैं। जब महिलाएं इन्हें पहनती हैं तो जड़ों से जुड़ा महसूस करंने के साथ स्वयं को सशक्त और आत्म-बाल से भर हुआ महसूस करती हैं।
5. सहजता में sisterhood
गरबा में कोई मंच नहीं, कोई प्रतियोगिता नहीं, कोई performer नहीं, हर महिला performer है और audience भी। यह सहभागिता का उत्सव हैं जो हर स्त्री को शक्ति की तरह देखता है और सशक्त बनाता हैं। यह आपस में एक प्रेम है जो हर सखी को कहता हैं कि तू आज स्वयं की अपार सीमा से व्यक्त कर मैं तेरे साथ हूँ।
6. गरबा एक feminist रुपक
गरबा एक ऐसा जरिया हैं जहां महिलाओं एक दूसरे के साथ समय बिताना और समझने के साथ साथ अपनी एजेंसी को celebrate करती हैं। यह उस दुनिया से अलग ही लगता हैं जहां स्त्री को स्त्री का सबसे बड़ा प्रतियोगी माना जाता है, यह न किसी को नियंत्रित करना हैं, न किसी को टोकना हैं बल्कि महिला ही इसका केंद्र हैं और महिला ही इसका अनंत।