आजकल हर फिल्म से दर्शक कुछ न कुछ सीख कर जाता है। आजकल फिल्में ऐसी बनायीं जाती हैं जिनको दर्शक आज के समय से जोड़ सकें और यकीन कर सकें।
1. पार्च्ड
हिंदी सिनेमा विभिन्न फिल्मों के माध्यम से नारीवादी मुद्दों को उठाता है, ऐसी ही एक मजबूत फिल्म है -'पार्च्ड'।
पार्च्ड प्यार, सेक्स, घरेलू हिंसा, सपनों और महिलाओं के संघर्ष पर आधारित एक बहुत ही दमदार फिल्म है। पार्च्ड इस
पितृसत्तात्मक समाज के लगभग सभी पहलुओं को अपने अलग-अलग किरदारो की मदद से छूती है,जिनका सामना
महिलाएं हमारे समाज में आज भी करती हैं।
2. लिपस्टिक अंडर माय बुर्का
चार औरतों की कहानी को दर्शाती यह फिल्म महिलाओं के उन मुद्दो पर आधारित है जिन पर हमारा समाज मूक दर्शक
बना रहता है। महिलाओं की यौन इच्छाओं, खुद के लिए फैसला लेने का हक, उनके सपनो को नजरअदांज और उनको
सिर्फ सेक्स ओब्जेक्ट समझते इस समाज के सामाजिक मानदंडों से मुक्त होने के संघर्ष की यह एक दमदार कहानी है।
3. छोरी
'छोरी' एक सामाजिक मुद्दे पर आधारित हॉरर फिल्म है। यह फिल्म कन्या भ्रूण हत्या के बारे में है। आज के समय में भी
लोग बेटी नहीं चाहते हैं। जिस कारण महिलाओं को घरेलू हिंसा का काफी सामना करना पड़ता है। कुछ मामलों में उन्हें
अपने परिवार के सदस्यों द्वारा मृत्यु का भी सामना करना पड़ता है। छोरी इस मुद्दे पर सवाल करती एक बेहतरीन फिल्म
है।
4. डार्लिंग्स
हाल ही में आई 'डार्लिंग्स' फिल्म घरेलू हिंसा पर बनी एक कॉमेडी फिल्म है। हालांकि यह मुद्दा हंसी मजाक में उड़ाने
वाला नही है। हमारे यहाँ महिलाएं इस आस में की एक दिन उनके खिलाफ होने वाली हिंसा शायद बंद हो जाएगी, इस
आस में चुप रहकर हर जुल्म सहती रहती हैं। लेकिन डार्लिंग्स इस मिटती आस पर अपना बदला लेने और अपने अधिकारो
व हक को समझने और उनको पाने के लिए प्रेरित करती है।
5. पीकू
पीकू एक बाप-बेटी के रिश्ते पर आधारित फिल्म है। इस फिल्म में एक बुजुर्ग पिता की देखभाल एक अकेला बच्चा करता है
और वह बच्चा एक 'लड़की' है। एक ऐसी लड़की जो आर्थिक, भावनात्मक, यौन रूप से स्वतंत्र और अविवाहित है। ठीक
वैसी जो समाज की परफैक्ट लड़की की परिभाषा के विपरीत है। और यही इस फिल्म की ख़ूबसूरती है।