अनुपमा आज की सबसे हाई TRP वाले हिंदी टीवी शो में से एक है। शो की मैं करेक्टर अनुपमा शुरुआत में एक ट्रेडिशनल बहु और पत्नी होती है, जो अपने परिवार से 100% समर्पित रहती है। उसका अस्तित्व उसका पति था। जैसा की आप सब जानते ही होंगे, उसके पति वनराज शाह ने उसे धोखा दिया। अनुपमा अपने सदमे से उभरती है, अपने पति को तलाक देती है, और ज़िन्दगी में आगे बढ़ने की कोशिश करती है, मिसस शाह से अनुपमा वापस बनती है। शो में अनुपमा का संघर्ष मेन प्लाट है, मगर शो के कई सब-प्लॉट्स हैं।
अनुपमा की दूसरी शादी के बाद उसे नए संघर्षों का सामना करना पड़ेगा, और उनमें से एक संघर्ष है उसकी बेटी पाखी और उसके भाभी के भाई अधिक का रेलशनशिप। पाखी और अधिक, दोनों जवान हैं और एडल्ट्स हैं। शो में दिखाया जा रहा है की पाखी को अधिक पसंद आने लगा है और वह भविष्य में उसके साथ रिलेशनशिप में आने की उम्मीद रखती है।
अधिक को भी पाखी पसंद आया था, जब वे पहली बार मिले थे, और दोनों एक दूसरे के अनुपमा से रिश्ते के बारे में नहीं जानते थे। पर अब शो में दिखाया जा रहा है की अधिक पाखी का विश्वास सिर्फ इसलिए जितना चाहता है ताकि वह पाखी के ज़रिये अनुपमा को कंट्रोल कर पाए।
अनुपमा में प्रोब्लेमैटिक टीनेज रिलेशनशिप्स
कहा जा सकता है की पाखी का कैरेक्टर डेवलपमेंट अछि तरह से नहीं की गई है। वह एक कॉलेज जाने वाली स्टूडेंट है, मगर उसे बेवकूफ दिखाया जा रहा है। ‘अनुपमा’ को भारत के सबसे प्रोग्रेसिव डेली सोप कहा जा रहा है, मगर उसने भी टीनेज प्यार को ऐसा दर्शाया की वह एक बहुत ही ख़राब चीज़ है।
सीरियल में अधिक और पाखी को “पकड़ा” जाता है, जैसे कि उन्होंने बड़ा अपराध किया हो, और अधिक को बुरी तरह मारा जाता है जो की अपने आप में गलत है। दोनों को एक दुसरे से बात करने के लिए मना कर दिया जाता है। यह दूसरी गलत चीज़ हुई।
अनुपमा खुद, माँ होने के नाते सही बातें कहती है, मगर वह पाखी के करियर और रिलेशनशिप को मिक्स कर देती है। वह दोनों से कहती हैं कि वे पहले अपना करियर बनाए फिर प्यार के बारे में सोचें। हालांकि यह दुसरे से बहतर बात है, हमें यह समझने की ज़रूरत है की प्यार और करियर साथ साथ हो सकते हैं। और अक्सर असल ज़िंदगी में ऐसा ही होता है।
अनुपमा पाखी से यह भी कहती है कि वह अपने डिसीजन लेने में असमर्थ है, पर सीरियल में कभी उसे अपने निर्णय खुद लेने की अनुमति दी ही नहीं गयी थी।
एक और समस्या वाली बात यह है की वनराज पाखी को मासूम समझता है और कहता है की पाखी को अधिक ने मैनिपुलेट किया है। पाखी के बार बार कहने पर भी वह अपने बात पर अड़ा रहता है की पाखी को सरलता से मैनिपुलेट किया जा सकता है। क्या पाखी सचमें इतनी मूर्ख है? क्या उसकी अपनी इच्छा नहीं हो सकती? क्या एक जवान लड़की को पार्टनर की चाह नहीं हो सकती है?
डेटिंग के खिलाफ होना
अनुपमा में हमें साफ़ साफ़ दिख रहा है की पूरा परिवार डेटिंग के खिलाफ है। भारत में वैसे भी एक बेटी को एक अजनबी आदमी के साथ शादी कर के अजनबी घर में रहने भेज देने की प्रथा चली आ रही है। आज कल हालत सुधर रही है और अरेंज्ड मरीज में भी लड़की की मर्ज़ी देखि जाने लगी है, मगर इस सीरियल में नहीं।
परिवार के बेटे डेट कर सकते हैं, मगर बेटी नहीं। पाखी के केस में, वह दोनों साफ़ साफ़ कहते हैं की वे रिलेशनशिप में नहीं है, केवल एक दुसरे को जानना चाहते हैं, पर परिवार वाले को यह भी मंज़ूर नहीं है। अगर अधिक ख़राब इंसान भी है, पाखी को उसके साथ समय बिताने से समझ आ ही जायेगा।
हर रिलेशनशिप शादी में कन्वर्ट नहीं होती है। कभी कम्पैटिबिलिटी की समस्या होती है, तो कभी कुछ और। पर अगर आप सीधे ही शादी की बात करें तो यह समस्या आपको कैसे समझ आएगी?
भारत में सबसे ज़्यादा TRP वाले सिरिस में से एक में अगर टीनेज रिलेशनशिप्स को ऐसे दर्शाया जाये की वे पाप हैं, उनका हमारे असल ज़िंदगी में भी प्रभाव पड़ेगा। पहले ही भारत में रिलेशनशिप और डेटिंग को बुरी नज़र से ही देखा जाता है।